कुछ आधे अधूरे से क़िस्से…

Shipra Gupta
शब्दों का जादू
1 min readJul 30, 2020

जब हक़ीक़त में सब कुछ आधा अधूरा है

तो कहानियों का पुरा होनी क्यों ज़रूरी है

लिखने दो आधा अधूरा ही

हमारी ज़िंदगी की तरह,

क्या कभी कोई अपनी ज़िंदगी की कहानी लिख पाया है क्या?

कैसे लिखता; कलम तो किसी और के हाथ में था

अगर लिखता भी तो,

अगर लिखता भी तो

कुछ chapter मिलते जुलते होंगे, कुछ अलग से

कभी लिखना शुरू किया होगा तो

भगवान ने पन्ना पलट दिया होगा

तो फिर जब सच में कहानियाँ आधी अधूरी होती हैं

तो किताबों में लिखी कहानियाँ पुरा करना क्यों ज़रूरी है?

पुछ के देखो किसी लेखक से

दस कहानियों में से कोई एक ही शायद पुरी होती होंगी

तो कहानियों का पुरा होनी ज़रूरी है क्या?

आधी अधूरी सी पढ़ लेते हैं

और आधा कुछ हम ख़ुद ही जोड़ लेते हैं

क्योंकि कुछ कहानियों का अंत दर्द दे जाता है

और दर्द भरी कहानियाँ कौन लिखना चाहता है

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