Pinnedएक ज़िद की है दिल से कि फिर से स्कूल जाना चाहता हूँ ज़िम्मेदारी को रख कर परे, सिर्फ बस्ते का बोझ…एक बार फिर से उसी बेंच पर अपने दस्तख़त करना चाहता हूँ "आज का विचार" तख़्ते पर लिखना चाहता हूँDec 31, 2024Dec 31, 2024
बचपन मे 1 रु. की पतंग के पीछे २ की.मी. तक भागते थे।न जाने कितने चोटे लगती थी, वो पतंग भी हमे बहुत दौड़ाती थी।Dec 31, 2024A response icon1Dec 31, 2024A response icon1