Manav Rishi
18 min readSep 4, 2021

Open Letter to Nirankari Mata Sudiksha Ji — (Hindi)

(Financial Irregularities by the Head of Nirankari Mission to the tune of Rs. 2000 crores)

विनम्र निवेदन

माता सुदीक्षा जी,

धन निरंकार जी,

हम सभी जानते हैं कि यह मिशन एक सच का मिशन है, क्योंकि सच का ज्ञान यहाँ पर दिया जा रहा है।

विनम्र निवेदन ये है कि मिशन बहुत तेजी से नीचे की तरफ़ जा रहा है। कारण बहुत ही साफ़ नज़र आ रहे हैं जैसे, पहला कारण तो यह है कि मिशन में परिवार-वाद अपनी चर्म सीमा पर है, गुरु की सेवा को पचास साल से एक ही परिवार तक सीमित करके, परिवार वाद का एक भद्दा प्रमाण दिया है, और दूसरा, गुरु-परिवार (जिसमें आप भी शामिल है) के ऊपर income tax के छापे पड़ना, काले धन को संभालने के लिए Shell कंपनियां खोलना, काले धन को विदेशी बैंकों में जमा करना, सैकड़ों करोड़ों की संपत्ति जमा करना, इत्यादि।

इन बड़े कारणों के इलावा, कुछ छोटे कारण भी हैं, जैसे मंडल में भ्रष्टाचार आम होना, प्रबन्ध का भक्ति पर हावी होना, इस आध्यात्मिक मिशन का एक NGO का रूप लेना यानि सामाजिक कार्यों का आध्यात्मिक पहलू पर हावी होना इत्यादि।

माता जी, कृपा करके इन बातों को गलत न समझें। यह पत्र मिशन के लिए गहरी चिंता का परिणाम है। हम सभी मंडल में ही लंबे समय से सेवाएं निभा रहे हैं और बहुत पुराने गुरसिख हैं।

आपजी के पावन चरणों में विनम्र निवेदन है कि, सत्य को बचाने के लिए सकारात्मक भावना से काम लें, क्योंकि ये शहंशाह जी का सच का मिशन, एक परिवार के लोभ लालच और परिवार-वाद की संकीर्ण सोच पर बली नहीं चढ़ाया जा सकता।

क्षमा प्रार्थी होते हुए, यह कड़वा सच आपजी के समक्ष रखना पड़ रहा है जो कहने और सुनने में अच्छा तो नहीं लगता लेकिन शत प्रतिशत सच है। जो बातें आपजी के चरणों में रखी जा रही हैं, एक एक का सबूत और विवरण आगे दिया गया है।

A. गुरु-परिवार द्वारा Financial irregularities (वित्तीय अनियमितताएँ):

बहुत शर्मनाक बात है कि गुरु-परिवार (जिसमें आपजी खुद भी शामिल हैं, आपका नाम सुदीक्षा सिंह के रूप में बार बार आ रहा है) का पैसे को लेकर भ्रष्टाचार जैसी घटिया हरकतों में लिप्त होना, काले धन को संभालने के लिए Shell कंपनियां खोलना, काले धन को श्रीलंका जैसे देशों की बैंकों में जमा करना, सैकड़ों करोड़ों की संपत्ति जमा करना इत्यादि।

कृपया नीचे दिए गए विवरण देखें:

1. बॉम्बे में 26 करोड़ की संपत्ति का आपके नाम पर दर्ज़ होना: ये बात अब सभी महात्मा जानते हैं कि मुम्बई में आपके लिए 16 करोड़ रुपये की कोठी खरीदी गई थी और फिर उसके ऊपर इंटीरियर डिजाइनिंग पर 10 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे।

यह BMC रिकॉर्ड में आपके नाम पर दर्ज़ है। जब अवनीत सेतिया जी ने इस महंगी संपत्ति को शादी के दहेज के रूप में स्वीकार नहीं किया, और अपनी भक्ति को पहल दी, तब यह आपके नाम पर register हुआ। अगर अवनीत जी भक्ति को पहल दे सकते थे, तो आप क्यों नहीं?

क्या यह पवित्र मिशन आप और आपके परिवार के लिए केवल एक धंधा है?

Evidence: इस वीडियो को आप जी ध्यान से देखें, यह वीडियो एक सबूत है: https://youtu.be/9y91bIgViVM

आप देखेंगे कि बहन मोहिनी जी, आपके बुआ जी, ने भी स्वीकार किया है कि यह 26 करोड़ की कोठी आपको बाबा जी ने शादी के उपहार के रूप में दी थी। सवाल यह है कि क्या यह दहेज था?

इतनी बड़ी रकम का स्रोत क्या था? क्या दस करोड़ की डिजाइनिंग एक सादे जीवन का प्रमाण है? क्या मिशन आपके भोग विलास का एक साधन मात्र है?

इस मामले को पहले ही PMO और CBI ने अपने अधीन कर लिया है। जांच अंतिम चरण में है।

2. गुड़गांव में 200 करोड़ रुपये का फार्म हाउस होना: यह फार्म हाउस 2006 में बाबा जी द्वारा खरीदा और बनाया गया था, जिसका मूल्य 200 करोड़ रुपये था, जहां बहन समता जी कई वर्षों तक रहते रहे हैं। बाबा जी का भी वहां आना जाना होता रहा है।

अब, सवाल यह है कि दुनिया को नेक कर्म और साफ सुथरी कमाई का संदेश देने वाले, क्या खुद ही काले धंधों में उलझ गए? कहां से आ रही है, ये करोड़ों की दौलत? क्या यह मिशन गुरु परिवार के लिए एक धंधा बन के रह गया है? क्या आपके लोभ लालच के लिए इस सच के मिशन की बली चढ़ाना ज़रूरी है? क्या यह शर्मनाक नहीं है? क्या आप लाखों भोले भाले गुरसिखों को धोखा नहीं दे रहे हैं?

आखिर, ये माया आई कहां से?….

हम सभी भली-भांति जानते हैं कि शहंशाह जी एक कुली का काम करते थे, और फिर बेकरी का काम करने लगे, और बाबा गुरबचन सिंह जी स्पेयर पार्ट्स की दुकान करते थे, और बाबा हरदेव सिंह जी ने कोई खास बिजनेस नहीं किया, और इस तरीके से माता सविंदर जी का मायका परिवार भी एक मध्यमवर्गीय परिवार था, तो ऐसे हालात में 2000 करोड़ की इतनी बेशुमार दौलत कहां से आ गई?

इस धोखे में, कुछ प्रबंधक जैसे बाबा जी के ड्राइवर दिलबाग जी, सिक्का साहब, चड्ढा साहब आदि भी शामिल रहे हैं। ब्रांचों में जो संगतें होती थीं, उनकी रसीद काटी जाती थी जिससे संगत का विश्वास बना रहे। लेकिन जो समागम होते थे, उनमें से ज्यादातर माया की रसीद नहीं काटी जाती थी, उसमें दिलबाग जी और दो तीन लोगों का ग्रुप शामिल था, जो बड़े नोटों को सफेद बैगों में भरकर सीधे अपने साथ ले जाया करते थे, और छोटे नोटों को ब्रांच में ही छोड़ जाते थे, जिससे महापुरुषों का विश्वास बना रहे। उपदेश तो ये दिया गया कि जो भी माया या भेंट महापुरुषों द्वारा आपको अर्पित की जाती है वह निरंकार के नाम पर है, उसको पर्सनल यूज़ करना, एक जहर के समान है। तो क्या वह बाबा जी के परिवार के लिए जहर नहीं है ? क्या वो सत्य के प्रचार प्रसार में नहीं लगनी चाहिए थी?

इसी तरीके से, कुछ जोनल इंचार्ज (जैसे लुधियाना के चावला साहब आदि) सीधा कैश पहुंचाते रहे हैं — गेंहू की सेवा कहकर। ऐसे महापुरुष, जो परिवार की भक्ति करते हैं, निरंकार की नहीं, उनको प्रबंध में ऊंची सेवाएं देकर अपने नजदीक रखा जाता है। वो ये नहीं जानते कि मुक्ति निरंकार दातार ने देनी है, ना अधिकारियों ने देनी है, ना आपजी के परिवार ने देनी है। इस सच को मंडल में सारे महात्मा जानते हैं और गिरावट के प्रति चिंतित भी हैं, लेकिन कुछ अपनी कुर्सी से बंधे हुए हैं, और कुछ सत्कार से बंधे हुए हैं, और इस सत्कार को ही भक्ति का फल समझ रहे है। इसलिए बोलते नहीं हैं।

क्या इतने ऊंचे स्थान पर बैठकर, गुरु के स्थान पर बैठकर, यह शोभा देता है? बाबा जी ही अपने वचनों में यह कहते रहे…

जिन्होंने हवाओं के रुख मोड़ने थे,
सुना है, उनको ही हवा लग गई है!

शर्मनाक है कि जिन्होंने संदेश देना था कि माया नश्वर है, वह खुद ही माया की दौड़ में पड़ गए।

3. गुरु-परिवार के नाम पर कई Shell कंपनियां होना: अपने अनाब शनाब धन को संभालने के लिए गुरु परिवार द्वारा कई shell कंपनियां खोली गईं। बहन समता जी को कई में डायरेक्टर के रूप में दिखाया गया है।

A company named UKLI Ltd. was opened in 2008–09 with the promise of a plot in countryside near London under the guidance of Baba ji. Samta ji was one of the directors. 4500 people invested Rs. 514 crores and they got nothing. It was a total fraud. Later on, Samta ji left the directorship and became a stakeholder. In April 2009, Financial Services Authority, UK ordered UKLI to windup its business declaring it illegal. The dream of 4500 investors became a nightmare. For Evidence, see link –

https://www.livemint.com/Home-Page/j2VJNizf73lThDCPgkj7CO/Indian-investors-cheated-out-of-land-in-England-that-never-w.html

सवाल यह है कि क्या यह अपमानजनक नहीं है? क्या ये सब बाबा जी की हजूरी में होता रहा? क्या मिशन गुरु परिवार के लिए सिर्फ एक धंधा है?

Evidence: निम्न लिंक देखें, जो दिखाते हैं कि कौन कौन सी shell कंपनियां गुरु परिवार के नाम पर खोली गईं, जैसे:

1. Habitat Royale Projects Private Limited

2. Samhuyik Promoters Private Limited

3. And Many More.

http://www.mycorporateinfo.com/director/samta-1079349

https://www.zaubacorp.com/director/SAMTA-KHINDA/01079349

Both your sisters, Samta ji and Renuka ji have been shown as Directors as per the details given below:

  • Samta Singh, DIN no. — 01079349, w.e.f. 15th March, 2004
  • Renuka Singh, DIN No. — 08206889, w.e.f. 25th August, 2018

4. 2006 में आपके परिवार पर आयकर का छापा: बहुत ही शर्मनाक बात है कि गुरु-परिवार में income tax के छापे पड़ें, disproportionate assets पकड़ी जाएं। जिन्होंने सच का संदेश देना है वो खुद पैसे के पीछे भागते नज़र आएं।

आयकर विभाग ने, 2006 में, आपके फार्महाउस और अन्य संपत्तियों को लेकर, और disproportionate assets के लिए छापा मारा, तो बेसमेंट में से 42 करोड़ कैश, कई किलो सोना, और सैंकड़ों करोड़ रुपए की डायमंड ज्वैलरी बरामद हुई, जिसे दबाने के लिए चड्डा साहब और फरीदाबाद वाले नागपाल साहब ने इनकम टैक्स वालों को करोड़ों रुपए दिए, और इस ब्लैक मनी को व्हाइट में बदलने के महापुरुषों से चैक मंगवाए गए। फिर दस साल तक बाबा जी और आप जी के ऊपर केस चलता रहा।

सच्चाई जानने के लिए, नीचे दिए लिंकस को देख लें, शर्म से नजरें झुक जाएंगी।

Evidence of Income tax raids on Guru Parivar: निम्नलिखित तीन लिंक देखें:

1. https://indiankanoon.org/doc/186994925/

2. https://www.taxpundit.org/forum/income-tax-appellate-tribunals/1775-samta-khinda-vs-acit

3. https://www.itatorders.in/appeal/ita-618-del-2012-14-acit-new-delhi-ms-sudhiksha-singh-delhi

आप ख़ुद ही साफ़ देख सकते हैं कि कैसे गुरु परिवार में धन दौलत को लेकर ये छापे पड़े, जिसमें समता जी का, और आपका नाम, सुदीक्षा सिंह, भी बार बार दिखाई दे रहा है।

क्या यह शर्मनाक नहीं है कि अनुपातहीन संपत्ति (Disproportionate assets) के लिए गुरु-परिवार income tax raids भुगत रहे हैं? इसमें लिखा है कि इस मामले में समता जी की वार्षिक आय को बढ़ा कर 3.74 करोड़ करना पड़ा। क्या ये कमाई हक़ हलाल की है, क्या मिशन गुरु परिवार के लिए सिर्फ एक धंधा है?

पुरातन महापुरुष जानते हैं कि जब छापा पड़ा, तो महापुरुषों से चेक मंगवाए गए थे ताकि ब्लैक मनी को वाइट में कन्वर्ट किया जा सके। इस तरह की घटिया हरकतें आपजी के परिवार मे होती रही हैं। और उस छापे के दौरान बाबाजी और परिवार ने देश छोड़कर भाग जाने की पूरी तैयारी कर ली थी, पूरा सामान पैक हो चुका था लेकिन बदनामी के डर से रुक गए थे।

क्या अनुपातहीन संपत्ति रखने और फिर इस तरह से आईटी स्कैनर के तहत आना, और भोले भाले महापुरुषों की श्रद्धा का दुरूपयोग करना गुरु परिवार को शोभा देता है?

5. काले धन को संभालने के लिए श्रीलंका और अन्य विदेशी बैंकों में खाते: समता जी, रेणुका जी और आपजी की तीनों शादियों में इतना सोना चांदी और माया इकट्ठी हो गई कि कोई हिसाब नहीं था। ये माया जो मिशन के प्रचार प्रसार में लगनी चाहिए थी उसका दुरुपयोग किया गया, और विदेशी बैंकों में अकाउंट खोले गए। हालांकि, बाबा गुरबचन सिंह जी ने जिस मर्यादा की नींव रखी थी वो ये थी कि जितनी माया इकट्ठी हुई है उसका एक-एक पैसा मिशन की सेवा में लगाया जाएगा, तो कहां गई वह मर्यादा?

गुरु परिवार का श्रीलंका का दौरा, जिसमें माता सविंदर जी, बहन समता जी, बहन रेणुका जी, आप स्वयं और भाई साहब गुरनाम सिंह जी भी शामिल थे, (गुरनाम सिंह जी — आपके परिवार के करीबी और सहयोगी हैं, सभी जानते हैं), ये सभी बातें अब सारे मंडल में सभी महात्मा जानते हैं और हंसते हैं कि कैसे सच का संदेश देने वाले, ख़ुद माया के अधीन हो कर, विदेशी बैंकों में खाते खोल रहे हैं।

सवाल यह है कि, क्या गुरु परिवार को विदेशी बैंकों में संदिग्ध खाते शोभा देते हैं? क्या गुरु परिवार का यह किरदार गुरूओं पीरों पैगंबरों की शिक्षाओं के अनुरूप है? क्या यह शर्मनाक नहीं है?

Evidence: भाई साहब गुरनाम सिंह जी के साथ, बिना किसी सत्संग के, श्रीलंका के दौरे में सारा गुरु-परिवार शामिल था, और एक ही मुद्दा था कि अपने अकाउंट्स को ऑपरेट करना। सिर्फ इतना ही नहीं, गुरु परिवार के विदेशी बैंक खाते अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन और स्विट्जरलैंड आदि देशों में और भी हैं जो आपके साथ साथ, समता जी और रेणुका जी के नाम पर भी हैं।

6. दस करोड़ का एक और फार्म हाउस आपके अपने नाम पर — जो कागजात मिले हैं, उनके आधार पर आपके अपने नाम पर Grand Westend Greens में एक फार्म हाउस खरीदा गया, निमित्य प्रॉपर्टी से। फार्म हाउस दस करोड़ का खरीदा गया, जिसमें से 4 करोड रुपए की रजिस्ट्री करवाई गई, 25 मार्च 2007 को, और बाकी सारा पैसा, दो नंबर में कैश में दिया गया। और यह बात पन्ना नंबर 97–192 तक annexure A-5 में Party G-3 में लिखी हुई है ।

अब सवाल यह पैदा होता है कि जब आपकी उम्र 18 साल रही होगी, आपके पास दस करोड़ कहां से आ गए? सीधी सी साफ बात है कि संतो महापुरुषों की भेंट की माया को किसी न किसी तरीके से बड़ी बेशर्मी से आपके परिवार ने उसका दुरुपयोग किया है। इसीलिए किसी न किसी बहाने बार-बार धन की सेवा की प्रेरणा दे कर महापुरुषों को प्रलोभन दिया जाता है, और उनकी भक्ति को निष्काम नहीं रहने दिया जाता, बल्कि कामनाओं से जोड़ दिया जाता है, और ये सब किसलिए ताकि आप और धन एकत्रित कर सकें?

एक तरफ तो आपजी का परिवार है जिन्होंने मिशन के नमस्कार की माया से इतना धन दौलत इकट्ठा कर लिया, और एक तरफ साध संगत के वो महात्मा हैं जिन्होंने मिशन को अपना सब कुछ समर्पित कर दिया। हमारे अनगिनत महात्मा ऐसे हैं जिन्होंने कर्जा ले लेकर सेवाएं की, अपने बच्चों को भूखा रखकर सेवा की, और तन मन धन सही मायने में समर्पित किया। ये फार्म हाउस भी उन हालातों में खरीदे गए जब भवनों के ऊपर टीन की छतें डाली जा रहीं थीं, महापुरुषों के पास बैठने की जगह नहीं थी और पेड़ों के नीचे संगतें हो रहीं थीं। यह कैसी विडंबना है कि शिक्षा देने वाले तो माया में उलझ गए और शिक्षा लेने वाले माया से ऊपर उठ गए!

नीचे इसका सबूत भी दिया जा रहा है, आप खुद खोल कर पढ़ सकते हैं।

Evidence: https://www.taxmanagementindia.com/web/tmi_blog_details.asp?id=450068

If you sign-in and then login in, then you will be able to see all the documents mentioned above along with the other related documentary evidence, these facts are easily verifiable.

सोचने वाली बात यह है जिन संतों महापुरुषों ने ज्ञान का और सादगी का संदेश देना था, इतना दिखावा और शानो शौकत भरा जीवन जी रहे हैं, वह भी संतो महापुरुषों की भेंट की हुई माया के ऊपर, यह दुर्भाग्यपूर्ण अवस्था है।

यही कारण है कि समस्त साधसंगत आप की ईमानदारी और निष्ठा में विश्वास खो रही है। अजीब बात है कि कैसे, महापुरुषों को भेंट कि हुई माया का दुरुपयोग करके कोई आध्यात्मिकता, सच और सादगी का संदेश दे सकता हैं?

ये सारी detail, PMO और CBI के साथ सांझी की जा चुकी है।

आपजी निरंकार से डरें। तुरंत, मिशन को अपना बिजनेस समझना बंद करें। यदि पैसा आपका उद्देश्य है, तो मिशन के बाहर पैसा कमाने के कई तरीके हैं।

अगर माया को नहीं छोड़ सकते तो मिशन को छोड़ दें।

कृपा करके, गुरु वाली सेवा किसी योग्य महात्मा (आपके परिवार से बाहर) को सौंप कर मिशन को बचा लें, निरंकार की नज़र में आप ऊंचे हो जाएंगे।

B. मिशन में परिवार-वाद (वंश-वाद)

पूरा मिशन इस बात को लेकर चिंतित है। हर महात्मा इसे महसूस करता है कि कैसे ये इतना सच्चा मिशन एक परिवार-वाद में फंस गया है । यहां तक कि बाहरी लोग भी इसका मज़ाक उड़ाते हैं कि “हां, वही मिशन है न आपका, यहां गुरु गद्दी एक परिवार में ही रहती है।”

इतिहास बताता है कि पहले भी जब भी आध्यात्मिक धाराएं खत्म हुई हैं, तो लगभग इन्हीं कारणों से हुई हैं -

  1. जब गुरु गद्दी पर परिवार वाद हावी हो गया। जब गुरु गद्दी एक परिवार की जागीर हो कर रह गई। जब गुरु परिवार के लोग गुरु गद्दी पर अपना अधिकार समझने लगे, और मिशन को एक बिजनेस समझ कर अपनी कमाई का साधन बनाने लगे।
  2. जब मंडल, मिशन पर हावी हो गया, और जब प्रबंधक, भक्तों पर हावी होने लगे।
  3. जब सारा गुरु-परिवार ही माया की चपेट में आ गया। और करोड़ों रुपए की जायदाद इकट्ठी करने में लग गया, और Income tax के छापे पड़ने लगे।
  4. जब दिखावा भक्ति पर हावी हो गया, जब सेवाएं दुनियावी पदों को देख कर दी जाने लगीं,
  5. जब भक्तों को निरंकार से ना जोड़ कर व्यर्थ के सामाजिक कार्यों में उलझाया गया।

दुर्भाग्यवश ये सारे ही लक्षण इस वक्त हमारे मिशन में दिखाई दे रहे हैं।

जो बात सोचने पर मजबूर करती है, वो ये कि, क्या यह मिशन, एक भी ऐसा गुरसिख, इस परिवार के बाहर पैदा नहीं कर पाया जो गुरु की सेवा को निभा सके?

लिखा तो ये है कि, “सतगुरु नू सिक्ख प्यारे अपने पुत्तर धीयां तों”, तो क्या इतने वर्षों से कोई भी सिक्ख अपने परिवार के बाहर प्यारा नहीं लगा?

आखिर ऐसा क्यों है, कि गुरु गद्दी पचास साल से एक परिवार तक ही सीमित हो कर रह गई है? क्या मिशन एक बिजनेस है जिसकी विरासत पर गुरु-परिवार अपना हक समझता है? क्या ये हालत मिशन के लिए बहुत बड़ी शर्मिंदगी की बात नहीं है? क्या हम, इस परिवर-वाद के कारण, सारे समाज में, हंसी का पात्र नहीं बन रहे हैं? या क्या आपजी गुरु गद्दी के साथ इसीलिए चिपके हुए हैं ताकि गुरु परिवार की financial irregularities को छुपाया जा सके?

यह भी सत्य है कि गुरु गद्दी के लिए प्रत्येक दावेदार को, अपना मुंह बंद रखने के लिए, करोड़ों रुपये दिए गए हैं, जैसे बहन मोहिनी जी, बहन बिंदिया जी, भाई साहब सुखदेव जी अमृतसर, बहन समता जी, बहन रेणुका जी। क्या ये बातें, शर्मनाक नहीं हैं?

क्या आपके परिवार में संत कि यही परिभाषा है? क्या यह भ्रष्टाचार और अधर्म कि पराकाष्ठा नहीं है?

Evidence:

  1. इस वीडियो में https://youtu.be/nNLTOIA5xV4 (Now, this video has been blocked by Mandal to destroy evidence) सत्यार्थी जी स्पष्ट रूप से आपकी चयन प्रक्रिया के बारे में सच्चाई साझा कर रहे हैं कि कैसे यह एक बिजनेस हेड चुनने के समान था। परिवार वाद की हद तो यह है कि एक समय तो आप सब हार्दिक जी को भी गुरु गद्दी पर बिठाने को तैयार थे, पर होना आपके परिवार से ही चाहिए क्योंकि ये एक बिजनेस है।

आपके घट को निरंकार ने नहीं चुना है…

कमेटियों ने चुना है… परिवार की मीटिंग में चुना गया है:

अब, हर कोई जानता है कि आपको एक बैठक में कैसे, एक आम लीडर की तरह चुना गया था, जिसमें बहन मोहिनी जी, बहन बिंदिया जी, सुखदेव जी, बहन समता जी, बहन रेवुका जी, हार्दिक जी आदि सहित सभी परिवार के सदस्य उपस्थित थे, और सभी इस पद के लिए चहवान थे। इसलिए, आपके चयन में कुछ भी दिव्य नहीं है, बल्कि ये तो परिवार-वाद की एक घिनौनी मिसाल है।

मार्च 13, 2022 के समागम में बार-बार दोहराया गया कि निरंकार तो आदिकाल से मौजूद है, लेकिन अब निरंकार ने इस घट को चुना है। उनका इशारा आपकी तरफ था।

क्षमा प्रार्थी हैं हम, यह कहते हुए कि ‘आपके घट को निरंकार ने नहीं चुना है… कमेटियों ने चुना है… परिवार में मीटिंग में चुना गया है।‘ इसलिए आप निरंकार के थापे हुए नहीं हैं, कमेटियों में चुने हुए एक परिवार के लोग है। और भोले भाले लोग आपसे मुक्ति की उम्मीद लगाए बैठे हैं!

दुर्भाग्य है कि ‘अब इस मिशन में घट निरंकार नहीं चुनता है… अब कमेटियां चुनती हैं…. परिवार मीटिंग करके चुनता है… मीटिंग में लड़ाइयां होती हैं!!’ भद्दा मजाक बना दिया है आप और आपके परिवार ने ज्ञान का, भक्ति का, मुक्ति का।

आपजी भूल ही गए हैं कि ‘मुक्ति और मोक्ष का दाता निरंकार है, आप जी नहीं।‘ आपकी और आपके परिवार की तो अपनी मुक्ति के ऊपर भी प्रश्नचिन्ह हैं क्योंकि आपने संतो महापुरुषों की भेंट की गई माया का दुरुपयोग किया है… कोठियां खरीदीं… फार्म हाउस खरीदे… Shell कंपनियां खोलीं, इनकम टैक्स के छापे पड़े, बेतहाशा कैश बरामद हुआ… आपकी तो अपनी मुक्ति नहीं होनी है, किसी और को क्या मुक्ति दिलवाएंगे आप?

आप जी यह भी भूल गए हैं कि “गुरु कमेटियों में नहीं बनाए जाते, गुरु परिवारों में से नहीं चुने जाते। गुरु एक अवस्था का नाम है। गुरु ज्ञान का नाम है।”

  1. कृपया इस वीडियो संदेश में Rev. जगत जी की सच्चाई को सुनें: https: //youtu.be/-_laPdDYt2c। (Now, this video has been blocked by Mandal to destroy evidence)

देखिए कैसे, मिशन के एक इतने समर्पित और पुरातन गुरसिख, मिशन में परिवार-वाद की सच्चाई बता रहे हैं। महापुरुषों के पास अब कोई विकल्प नहीं बचा है, इसलिए आप की इस हरकत के कारण समाज में अपना सिर नीचा करके चल रहे हैं।

भवनों में पूरे परिवार की फोटो ऐसे लगी हुई है, जैसे मूर्ति पूजा फिर से लौट आई हो। सारे परिवार के नाम जयघोष में शामिल कर लिए हैं, और निरंकार दातार के जयघोष की जैसे ज़रूरत ही नहीं है, सिर्फ शरीरों के जयघोष से ही भक्ति पूरी जाएगी। बाबा बूटा सिंह जी का नाम जयघोष से बाहर है क्योंकि वो आपके परिवार में से नहीं हैं। कहां चले गए वो वचन, जब बाबा गुरबचन सिंह जी महाराज ने ये कहा था कि, “हम मिट्टी के पुजारी नहीं हैं।

परिवार-वाद की विडम्बना ये है कि कुछ महापुरुष आपको इस सच से रूबरू ही नहीं होने देते कि आप एक साधारण इनसान हैं। भगवान होने का ढोंग न करें। इस वक्त जो भी महात्मा, मिशन का और आपका हितकारी होगा, वो आपको गुरु गद्दी पर बने रहने के लिए नहीं कहेगा, आपकी झूठी उपमा भी नहीं करेगा, बल्कि आपको त्याग और समर्पण की प्रेरणा देगा।

C. इस परिवार-वाद से और financial irregularities से मिशन के ऊपर क्या असर हो रहे हैं:

जब गुरु परिवार ही माया की दौड़ में पड़ गया है, और सैकड़ों करोड रुपए इकट्ठे कर लिए हैं तो इसका असर मिशन के ऊपर होना स्वभाविक है। इसी कारण से मंडल में भी इतना भ्रष्टाचार है। मंडल में, जब भी आप किसी महापुरुष के साथ दिल की बात करते हैं, तो वे खुलकर कहते हैं, “जब गुरु परिवार ने मिशन को धंधा बना लिया है, और सैकड़ों करोड़ रुपए इकट्ठे कर लिए हैं, तो हम क्यों नहीं कर सकते?”

और आपजी के नज़दीक रहने वालों ने कर भी लिये हैं, जैसे स्वर्गीय चड्डा साहब और उनके परिवार ने करीब 100 करोड़ रुपए इकट्ठे कर लिए। स्वर्गीय सिक्का साहब और उनके परिवार ने करीब 50 करोड़ रुपए इकट्ठे कर लिए। दिलबाग जी भी खूब बहती गंगा में हाथ धोए, और करीब 20 करोड़ रुपए इकट्ठे कर लिए। बहन बिंदिया जी और उनके परिवार ने करीब 500 करोड़ रुपए इकट्ठे कर लिए, और Metro tyres तो सिर्फ एक shell company की तरह है। बहन मोहिनी जी और उनका परिवार आज 300 करोड़ रुपए का मालिक है और कई shell company चला रहे हैं। Rev. Sukhdev Singh ji, Amritsar और उनका परिवार आज 200 करोड़ रुपए का मालिक है और battery business तो एक shell company की तरह ही है। Rev. Behn Samta ji and Renuka ji 500–500 करोड़ रुपए के मालिक हैं।

विदेशों में रहने वाले महापुरुष अक्सर ये कहते हैं कि, माता सविंदर जी और आप तीनों बेटियों का ध्यान, कभी भी गुरमत में या भक्ति में नहीं रहा, आप हमेशा सेलिब्रिटी मोड (Celebrity mode) में रहे और विदेशों में tours के दौरान, आपका ध्यान sightseeing और शॉपिंग में रहा। और वहां से आते वक्त, आपकी शॉपिंग से भरे हुए सूटकेस, कोरियर से यहां भेजे जाते रहे हैं। महापुरुष जानते हैं कि आपजी खुद और बहन रेणुका जी, कैसे आप पचास-पचास हजार के सूट पहनते हैं और चालीस-चालीस हजार की लिपस्टिक लगाते हैं और फिर गुरु होने का ढोंग करते हैं, सादगी का ढोंग करते हैं।

इस अवस्था के साथ, अब सिर्फ कपड़ों का रंग सादा कर लेने से, कुछ भी नहीं होने वाला क्योंकि कपड़े बदल लेने से मन की अवस्था नहीं बदलती है। स्टेज पर बैठकर अच्छी-अच्छी सामाजिक बातें कर लेने से कोई गुरु नहीं हो जाता, पता तो कर्म से चलता है कि कैसे आपने लोभ लालच के वश होकर 2000 करोड़ का धन जमा कर लिया, फार्म हाउस खरीदे, विदेशी बैंकों में पैसा जमा करवाया, कैसे आपके परिवार पर इनकम टैक्स के छापे पड़े, धन को छुपाने के लिए shell कंपनियां खोली गई, यह बता रही हैं कि आपकी मानसिकता क्या है।

ये बिल्कुल ऐसा ही है जैसे किसी रिसर्च इंस्टिट्यूट का हेड किसी फुटबॉल के खिलाड़ी को बना दिया जाए। अब फुटबॉल के खिलाड़ी को रिसर्च से कुछ लेना देना नहीं है, ना ही उसको रिसर्च की गहराइयों का पता है, तो वह सिर्फ नुकसान ही कर सकता है। और धीरे-धीरे रिसर्च इंस्टिट्यूट समाप्त हो जाएगा।

यही हाल मिशन का है। यह मिशन गहरी अध्यात्मिकता और मुक्ति का मिशन है, और अगर आप की वो व्यवस्था नहीं है, तो यह कपड़ों का रंग बदलने से, या अंग्रेजी बोलने से, कुछ नहीं होने वाला है। धीरे-धीरे मिशन खत्म हो जाएगा, एक संस्था बन के रह जाएगा, जिसमें पेड़ लगाए जाएंगे, ब्लड डोनेशन कैंप होंगे, women empowerment की बातें होंगी, हॉस्पिटल खोले जाएंगे, लेकिन आध्यात्मिकता खत्म हो जाएगी।

बहुत सारे पुराने मिशन भी ऐसे ही खत्म हुए हैं जब परिवार वाद हावी हुआ, जब गुरमत की बजाए, बेटा-बेटी होना ज़्यादा महत्वपूर्ण हो गया। तो अब ये आपके हाथ में है कि आपने बिजनेस करना है और मिशन को खत्म करना है, या अध्यात्मिकता को पहल देते हुए निरंकार की दरगाह में परवान होना है।

D. ये सब जानते हुए, अब महापुरुषों के पास क्या विकल्प हैं…?

i. हम निरंकार से जुडें, इस परिवार से नहीं।

ii. अपनी माया को दुरुपयोग होने से बचाएं। इनके हाथों में नहीं दें।

iii. प्रबंधकों की बातों में नहीं आएं। माया इकट्ठी करना इनका काम है। आपजी चेतन रहें क्योंकि माया इक्ट्ठी करने के लिए प्रबंधक अक्सर ऐसी बातें करते हैं जैसे,

a. “आपको सुख मिलेंगे”
b.
“रोग दूर हो जायेंगे”,
c.
“समागम आया है”,
d.
“सेवा का अवसर मिला है”,
e.
“बीज डालने का समय है” इत्यादि।

हम सभी निरंकार प्रभु परमात्मा के चरणों में अरदास करें कि इस मिशन को परिवारवाद से मुक्ति मिले।

E. विनम्र निवेदन:

आपके पवित्र चरणों में विनम्र निवेदन है, कि आप गुरु गद्दी के लगाव को छोड़ कर, त्याग का साहस दिखाएं, और शहंशाह जी के पूरे परिवार से बाहर, किसी योग्य गुरसिख को ये सेवा सौंप कर, मिशन और सच की तरफ खड़े हो जाएं। इससे निरंकार की दरगाह में आपकी शोभा बढ़ेगी, अन्यथा निरंकार आपको इतने भोले भाले लोगों को गुमराह करने के लिए माफ नहीं करेगा।

अब आपके पास दो ही विकल्प हैं; एक तो यह कि आप मिशन को बिजनेस की तरह इस्तेमाल करते चले जाएं; और दूसरा यह कि आप सच को बचाने के लिए, इससे अलग हो जाएं।

आप क्या फैसला लेते हैं, इससे यह पता चलेगा कि आप इस मिशन को एक बिजनेस समझते हैं या वाक्य ही एक सच्चाई पर आधारित आध्यात्मिक लहर समझते हैं।

दूसरा विनम्र निवेदन ये है, कि ये भाव किसी व्यक्ति विशेष के नहीं है, बल्कि समस्त साधसंगत के हैं, इसमें दिल्ली मंडल के लगभग सारे महात्मा और लगभग सारे ही जोनल इंचार्ज महात्माओं का पावन ध्यान और योगदान शामिल है। आप जी यकीन करें, इस पत्र का भाव केवल मिशन का हित है, और आपके निजी जीवन के खिलाफ कोई भाव नहीं है

हम सभी, निरंकार दातार से क्षमा प्रार्थी हैं यदि इस निवेदन में कुछ भी ऐसा है को निरंकार की इच्छा और मर्यादा के विपरीत हो।

धन निरंकार जी।

समस्त साधसंगत,

दिल्ली, भारत एवं दूर देश

Manav Rishi

Lives in Delhi, India, Interested in Spirituality, Comparative study of Religions, Psychology, and Philosophy of Life.