तुम इश्क हो
Published in
Jun 9, 2022
जो तुम दवा होते
तो ज़ख्मों से मोहब्बत हो जाती,
हम ढूंढ-ढूँढ कर कांटों पे चलते
गलियों से नफ़रत हो जाती।
जो तुम हवा होते
तो हम धूल बन जाते,
मंजिल से बेखबर
तेरे झोकों पे बहते जाते।
जो तुम सज़ा होते
तो ख़ता की आदत हो जाती,
हम इतना बिगड़ जाते
की अब बदमाशियाँ ही शराफ़त हो जाती।
जो तुम खुदा होते
तो हम सन्यासी हो जाते,
हर मोह त्याग देते
बस एक न त्याग पाते।
परंतु….
तुम न दवा हो, न हवा हो,
न सजा हो, न खुदा हो
तुम सबसे हसीन, सबसे जुदा हो,
तुम इश्क हो…