तुम
Utkarsh Gupta

तुम खफा हो तो ज़िन्दगी
में रास नहीं
तुम न हो, तो एहसास भी
एहसास नहीं
क्यों, कैसे, ना जाने,
कभी कभी कुछ हो जाता है
की तुम्हारे आने से दिल
खुश हो कर मुरझा जाता है
समझ नहीं आता, ये दिल
धधकता है या थम जाता है
वक़्त बेवक़्त बन,
पल पल यूँ गुनगुनाता है
की पहेली है तू ,
जिसे सुलझा ना पाऊँ मैं,
तेरा हिस्सा बनके हमेशा
के लिए तुझमे ही घुल जाऊँ मैं,
क्यूँकि तुझसे दूर
मेरा वजूद वजूद नहीं
और तेरे स्वा
इस बदन को यह जान कबूल नहीं