कंकाली

Himanshu Kumar
19 min readMar 14, 2023

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कंकाली

इस कहानी के लेखक हैं संतोष देशपांडे आदिवासी समाज में जन्मे चेतन ने शहर में कई दिन बिताए थे अट्ठाईस वर्षों के बाद भूकंप प्रभावित जमीन में दबे अपने गांव को देखने वो आया था वो उस स्थान पर वैसे ही आया था जैसे की चंदा दादी ने उसे सपने में बताया था उसकी दादी एक चित्रकार थी वो उसके पुराने घर की तलाश में था से प्रभावित उन गांव में उसका घर एक टीले के बगल में था, लेकिन भूकंप के कारण चट्टान गिरने से ये जमीन में दब गया वह अपने घर के पास पहुंचा अट्ठाईस साल बाद केवल खंडहर ही रह गए थे वाह उसमें मिट्टी थी और घास थी साथ ही जगह जगह बबूल की लंबी झाड़ियां उग रही थी चेतन पूरे भंजन गांव देख ही रहा था की वो गुफा में पहुँच गया जहाँ हर घर के खंडहरों में कई लाशें तब गयी थी वहाँ पर केवल कंकाल रह गए थे उसकी दादी ने सपने में उसे जो कुछ बताया था वो वैसा ही कर रहा था उसने उस गुफा के अंदर दिवार पर खुदी हुई ये तस्वीर देखी वो तस्वीर नहीं थी बल्कि एक चित्र से बनाई मूर्ति कला थी उसे चित्र शिल्पी कहा जाता था जिसमें एक मृत व्यक्ति के कंकाल को जानवरों की खाल में लपेटा गया था और चित्र बनाने के लिए मिट्टी से लेप दिया था उस चित्र

को बनाते समय चंदा दादी ने अपने खून का इस्तेमाल किया था उस तस्वीर के बगल में सबसे नीचे एक सन्दूक था उसने उसे खोला उसमे एक कपड़े पर कंगाल की रक्त जी थ्री कैसे बनाते हैं, ये विधि लिखी हुई थी उसे समझ नहीं आ रहा था कि उसकी दादी उसके सपने में बार बार क्यों आ रही थी और उसे इस जगह के दृश्य बार बार क्यों दिखा रही है? चेतन की हालत बहुत बुरी थी उसके पिता और माँ अस्पताल में बीमार थे इलाज के लिए पैसे नहीं थे उसने अपने छोटे भाई राजू को उस स्थान पर रखा था वो इस जगह पर ऐसे बुरे सपने की खोज करने को आया था उसने सोचा की उसकी स्थिती इतनी खराब और भयानक है कि उसकी दादी को ये हालत सहन नहीं हो रही है और वो बेचारी अपनी मृत्यु के बाद भी उसकी मदद करने के लिए उसे यहाँ बुला रही है भूकंप में उसकी दादी उसी घर में दब गई थी वह मूर्ति के पास पहुंचा और मूर्ति के नीचे जो संदूक था उसके अंदर के कपड़े को साथ लेकर निकला उस कपड़े पर रक्त छवि बनाने की रस्म लिखी हुई थी वहाँ से वापस जाते समय उसने पीछे से दादी की आवाज़ सुनी उस आवाज को सुन कर वो भ्रमित हो गया और इधर उधर देखने लगा उसकी दादी उसे बुला रही थी

पोते इससे केवल पैसे के लिए इस्तेमाल करो इस कपड़े को पूरे अनुष्ठान को पढ़े बिना वापस मत करना बुरे काम के लिए इसका इस्तेमाल कभी भी मत करना, नहीं तो तुम्हें इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी

दादी ने मुझसे ऐसा क्यों कहा? वो इस बारे में सोचने लगा और वो वहाँ से विस्थापित गांव स्थान पर आया और रुक गया उसने अपने चचेरे भाई के घर पर भरपेट भोजन किया और रात में उसने मंदिर परिसर में एक पेड़ के नीचे उस संदूक को खोला और उससे कपड़े को निकाल कर कंगाली रक्त चित्रशिल्प कैसे निकाले, इसे पढ़ना शुरू किया रक्त चित्र पेंटिंग के लिए सबसे पहले एक मरे हुए आदमी के कंकाल की जरूरत थी उसे उस कंगाल को लेकर एक दीवार में तराशकर उसमें ठीक से फिट करना था उसे लगाने के बाद उसके ऊपर किसी जानवर की खाल लपेटकर उस पर मिट्टी का लेप लगाना था मिट्टी का लेप करने के बाद उस मंत्रों का जाप कर चित्र को अपने रक्त से रंग था उस चित्र को चित्रित करने के बाद जिस व्यक्ति का कंकाल है वो व्यक्ति उसके अधीन हो जाती थी और वो सब उसके काम करती थी जो भी काम उसने उस रात करने के लिए गए थे वो सभी काम चेतन सोचने लगा की मेरी दादी को जब इतना सब कुछ पता था तो उन्होंने आज तक उसके पिता को यह विद्या क्यों नहीं पढायी उसको वो सपने में इस विद्या के बारे में इस तरह क्यों बताना चाहती है? ये बात अभी तक सामने नहीं आई थी उसने उस विद्या के अनुसार कंकाली

रक्त चित्र बनाने का फैसला किया पैसे के लिए उसे कुछ भी करना मंजूर था वह अगले दिन की अमावस्या की रात को अपने पुराने भूकंप प्रभावित गांवों के लिए रवाना हुआ हाथ में फावड़ा लेकर उसने एक बड़े साहूकार के घर के पास खुदाई की और उससे कंकाल को बाहर निकाला वो ध्यान से कंकाल को उसी गुफा में ले गया घोर अंधेरे में लालटेन की सहायता से उसने अपना काम जारी रखा उस गांव में एक मरी हुई बहस की खाल मिली थी अपने चारों और उसकी खाल लपेटकर वह अपनी दादी द्वारा कपड़े पर लिखी गई रस्म को शुरू करने लगा उसने कपड़े पर लिखे हुए रस्म की तरह मिट्टी भी लगायी और अपने खून से चित्र को रंगते हुए मंत्र का जाप करने लगा कुछ देर बाद उस दीवार में लगे कंकाल और रक्त चित्र अजीब ढंग से धर धर आकर रहने लगे उसे देखकर वो बहुत डर गया और आनन फानन में वहाँ से भाग गया एक बार फिर रात में वह अपने चचेरे भाई के घर गया और बाहर लगे खटिया पर जाकर लेट गया उसकी आँखों के सामने बार बार उसे रक्त चित्रकारी की मूर्ति के हिलने का दृश्य दिख रहा था और वो बहुत घबरा गया उसको पैसे कमाने के लिए ये काम करना पड़ा जैसे की उसकी दादी ने उसे बताया था लेकिन वो उस अजीब गरीब हरकत

से यह पूरी तरह डर गया था उसने चारों ओर देखा और पढ़ा के आगे क्या करना है? उसके पीछे कोई खड़ा था उसने सोचा कि उसका चचेरा भाई है, उसका बेटा उसके पीछे खड़ा हो सकता है उसने पीछे मुड़कर देखा तो फिर से उसे अपने पीछे हुआ भयानक कंकाल रक्त की आकृति खड़ी दिखाई दी अरे बाप रे मैंने तो बहुत बड़ी गलती की वहाँ से वो फिर भर के मारे दूर तक बंजर जमीन की ओर भाग गया उस आकृति ने उसका पीछा किया वो दौड़ते हुए पेड़ तक पहुँच गया उसने किसी भी तरह कपड़े पर लिखी हुई अगली विधि को पढ़ा और तब उसने महसूस किया की ये कंगाली थी, जिसे उसने अपने खून से बनाया था वो उसे छोड़ने वाली नहीं थी वो उससे उसकी इच्छा पूछने के लिए उसका पीछा कर रही थी उसने अगली विधि पड़ी उसमें लिखा था कि कंगाल के सामने उसे जो चीज़ जाइए वो बोल नी है अब उसके सामने एक ही बात थी उसने अपने माता पिता की जान बचानी थी, जिसके लिए उसे काफी पैसों की जरूरत थी उसने कंकाल से सोने के सिक्के और पैसे की मांग की मज़ाकिया अंदाज में मुस्कुरा रही थी उस कंकाल के मुँह से खून बह रहा था उसने उस दृश्य से मुँह फेरा और अपनी आँखें बंद करली जब उसने अपनी आँखें खोली तो उसके सामने सोने के सिक्कों

और पैसों से भरी एक बोरी थी उसे इस बात का आभास नहीं था इतना पैसा और सोना देखकर वह चौंक गया उसकी दादी ने उसे इतना शानदार तरीका सिखाया है, ये सोचकर वो बहुत खुश था वहाँ से उसने उस कंकाली के सामने एक और इच्छा ज़ाहिर की इस सोने की बोरी और पैसों का थैला मुझे अपने साथ शहर में मेरे घर ले जाने दो, लेकिन उसके सामने ही कृत्य देखने वाला कंकाल हँसने लगा उसने निचले जबड़े को बहुत अजीब तरीके से हिलाया उसने उसकी मुस्कान नहीं देखी वो उसकी आवाज़ सहन नहीं कर सका उसने एक पल के लिए अपनी आँखें बंद करली और अपने हाथों को अपने कानों पर रख लिया कुछ देर बाद उसने आँखें खोली तो देखा कि वो अपने शहर के घर में पहुँच गया है उसके सामने एक सोने की बोरी थी और उसके पीछे एक कंकाली खून की मूर्ति थी कागज पर अगली विधि पढ़ने से पहले उसने अपने घर में सोने और सिक्कों को अच्छी तरह से छिपा दिया और पैसों से वह अस्पताल की ओर जाने लगा जब वो अस्पताल जा रहा था तभी उसकी दादी उसकी आंखों के सामने आ गई वो उससे कह रही थी

वापिस जाओ, बच्चे वापस जाओ।

लेकिन इसका अर्थ उसे समझ नहीं आया वो किसी तरह अस्पताल पहुंचा सुबह का समय था उसने देखा कि कंकाली औषाधालय की छत पर बैठी है उसकी मुस्कान बहुत डरावनी थी वो फिर से डर गया और सोचने लगा, हमे पैसे मिल गया है आपको सब कुछ मिल गया है, अब उसे वापस करना चाहिए और उसे जहाँ वो अभी है वहाँ जाने का आदेश देना चाहिये उस विधि का आदेश देने ही वाला था कि उसका छोटा भाई राजू उसके सामने आकर खड़ा हो गया अपने भाई के पास इतना पैसा देकर वह सोचने लगा की इतने पैसे कहाँ से लाये दागा? फिर उसने कहा ये पैसा अपने पास रखो, अंदर जाओ, मैं एक पल में आऊंगा पैसे के साथ उसने गलती से रक्त कंकाली पेंटिंग की विधि का कपड़ा अपने छोटे भाई राजू को दे दिया उसने कंगाली को ऊपर बुलाया और कहा तुम अपनी पहली वाली जगह पर जाकर सुनिश्चित होकर वहीं पर जमे रहो जैसे ही उसने ये वाक्य बोला वो एक बार फिर से उसकी आँखों के सामने राक्षसी आवाज़ में चीख पड़ी उसने अपनी आंखें बंद कर ली और उसकी भयानक आवाज को सुन कर अपने कान बंद कर लिए कुछ देर बाद उसने आंखें खोलीं फिर उसने देखा वो उसी कंकाली रक्त चित्र शिल्पी के सामने गुफा में खड़ा है, लेकिन वो हिल भी नहीं बहा रहा है

जब उसने अपना शरीर देखा तो उसे एहसास हुआ कि वो भी चित्र की तरह उस गुफा की दीवार में लिपटा हुआ था उसके चारों ओर एक चादर लिपटी हुई थी और उसके शरीर पर खून लगा हुआ था चेतन खुद को इस भयानक गुफा में पाकर बहुत परेशान हो चुका था उसे समझ नहीं आ रहा था की वो यहाँ कैसे आ गया और उसकी ऐसी हालत क्यों हो गयी? वो अपनी दादी का नाम लेकर चिल्ला चिल्लाकर रोने लगा और रोते हुए कहने लगा बचाओ दादी मुझे बचाओ, तुम्हारे कारण मैं यहाँ आ गया हूँ मैं इस गुफा में कैसे आ गया? तब सामने से उसकी दादी बोलने लगी

बेटे मैं तुम्हें पहले ही बोल रही थी पीछे हट जाओ, वापस चले जाओ जब तुम्हारे मन में आया था की कंकाली की रक्त चित्र की शिल्पी को वापस भेज दिया जाए, तभी मैं तुमको बता रही थी कि वैसा मत करना, लेकिन तुम्हे वो समझ में नहीं आया जिंस कपड़े के ऊपर वो विधि लिखी है वो कपड़ा तुमने इस गुफा से उठाया था, वहीं पर तुमको लाकर रखना था या फिर उस कपड़े को किसी भी तरह से तुम को यहाँ पर लाना चाहिए था? ये बात मैंने तुमको सबसे पहले बताई थी कपड़े की ऊपर की संपूर्ण रस्म तुमको पढ़नी चाहिए और बाद में इस रक्त चित्र को वापस भेजना चाहिए इस कंकाली की रक्त चित्र का विधि तुम्हें इतनी आसान लगी क्या अब तुम्हें यहाँ से बाहर जाने के लिए कोई दूसरा उपाय करना होगा? तुम सवेरा हो जाने के बाद यहाँ से बाहर जा सकते हो लेकिन रात को वो कंकाली की रक्त चित्र की शिल्पी तुम्हें यहाँ पर खींचकर लाती रहेंगी और खुद के रक्त से तुम्हारे शरीर पर वो रक्त चित्र बनाएगी रक्त चित्र ई रात के समय जिंदा आदमी की तरह काम करती है अगर उसने तुम्हारे शरीर के ऊपर उसके खून से लपेटा हुआ चित्र पूर्ण कर लिया तो वो खुद जिंदा हो जाएगी और जिंदा इंसान की तरह वो बर्ताव करेगी

उसके बाद तुम उसकी जगह पर कंकाली की रक्त चित्र के शिल्प स्वरूप में यहाँ पर कैद हो जाओगे, उसके बाद कंकाली की रक्त चित्र की जो रस्म है, उसके कपड़े को वो ढूँढ लेगी और तुम्हारी कैद की गई रक्त चित्र की मूर्ति के नीचे संदूक में वो रस्म का कपड़ा रख देगी जब तक कोई दूसरा व्यक्ति यहाँ आकर लगभग वैसा ही कंकाली रक्त चित्र नहीं बनता, तब तक तुम रात के समय यहाँ से मुक्त नहीं हो पाओगे तुम केवल दिन में यहाँ से बाहर जा सकोगे तुम्हारी उम्र हर रात यही इसी गुफा में बीत जाएगी

ये सब बहुत सुनने के बाद चेतन रोने लगा वो कहने लगा दादी मुझे किसी भी तरह से इस विपदा से बहार निकालो मैंने अपने पास का जितना भी पैसा, सोना जो कुछ भी है वो सब मेरे मेरे छोटे भाई राजू को दे दिया मेरे माता पिता दोनों ही अस्पताल में ऐडमिट हुए थे उनके इलाज के खातिर मैंने पैसे दिए थे अस्पताल के छत के ऊपर मुझे वो कंगाल कि रक्त चित्र दिखाई देती मुझे लगा मेरी इच्छा पूर्ण हो गई है अब उसको वापस भेजने का समय आ गया

जब तुमने तुम्हारे पास का पैसा सोना अपने भाइयों को दिया, उसके साथ साथ रक्त चित्र की विधि का जो कपड़ा था, वो भी उसके साथ तुम्हारे भाई को तुमने दे डाला जब तक तुम वो रस्म वाला कपड़ा और सामनेवाली कंकाली की रक्त चित्र के शिल्प के नीचे वाले संदूक में जैसा था, वैसा तुम नहीं रख देते तब तक वो तुम्हारा पीछा नहीं छोड़ने वाली वो एक रस्म है, वो तुम्हे किसी भी कीमत पर खींच कर यहाँ ले कर ही आएगी

सवेरा होने वाला था उसके पैर का जो हिस्सा था तो उस जगह तक कंगाली की रक्त चित्ररी ने मिट्टी का लेप कर दिया था सवेरा जैसे ही हुआ तब वहाँ से वो मुक्त हो गया और अस्पताल की ओर दौड़ने लगा उससे जो कुछ भी हुआ है वो बताना था और रक्त चित्र की रस्म वाला कपड़ा वापस लेना था वो ज़ोर ज़ोर से दौड़ते हुए अस्पताल की दिशा में जा रहा था उसे अपने भाई राजू को ये बात बतानी थी की उसे वो कपड़ा लेकर फिर उसी गुफा में रखना था वो जैसे तैसे अस्पताल के बाहर पहुंचा लगभग 6 घंटे भागकर वो वहाँ तक पहुँच था आते आते दोपहर हो गई थी अस्पताल के अंदर पहुंचने के बाद उसके ध्यान में आया उसका भाई शहर की तरफ गया हुआ है अपने माता पिता के इलाज की खातिर उसको वहाँ ले जाना पड़ा तब चेतन सोचने लगा मैं उस रक्त चित्ररी की वजह से पैसे और सोने के साथ शहर पहुंचा हुआ था लेकिन अब मैं किस तरह से मेरे भाई के पास पहुंचूंगा? अगर रात हो गयी तो वो कंकाली के रक्त चित्ररी आएगी और यहाँ से मुझ को खींचकर उस गुफा की ओर ले जाएगी और जैसा दादी ने कहा है वैसे ही मेरे शरीर के ऊपर वो रंगने का काम करना शुरू कर देगी उसके खून से अगर मेरे शरीर के ऊपर रंग का काम हो गया तो मैं उम्र भर उसी गुफा में कैद हो जाऊंगा।

तब वो अस्पताल में पूछ्ताछ करने लगा की उसके माता पिता को उसका भाई कहाँ लेकर गया हुआ है, तो वो कम्पाउण्डर ने बताया, तुम्हारा भाई तुम्हारे माता पिता को मुंबई लेकर गया हुआ हे भगवान अब मैं वहां नहीं पहुंचूंगा ये बहुत उसके ध्यान में आ चुकी थी वो उसी जगह पर रोते हुए नीचे बैठ गया और अपनी दादी को याद कर रो रहा था उसको समझ में नहीं आ रहा था कि वो अब क्या करे? वो किसी भी हालत में उस अंतर को बाहर करने का विचार करने लगा अस्पताल के सामने बैठे हुए उसको एम्ब्युलेंस द्वारा एक मरीज को मुंबई ले जाने वाले लोग दिखाई दिए तब वो ऐम्ब्युलन्स वाले ड्राइवर को बोलने लगा जी देखिये मेरे माताजी और पिताजी मुंबई में मुझे उस जगह पर लेकर चलो ऐम्बुलेंस के ड्राइवर ने उसको अपने बगल में बैठने की जगह दी और उसे बैठने को कहा वह तेज़ी से मुंबई की दिशा में गाड़ी चला रहा था बहुत समय बीत जाने के बाद का सारा घाट के बाहर आते हुए उसने देखा कि दिन ढलने लगा है अब अंधेरा हो जायेगा तब उस घाट की दूसरी ओर जाते हुए अँधेरा हो जाने के बाद अचानक से एंबुलेंस बंद पड़ गयी ड्राइवर को कुछ समझ में नहीं आ रहा था अचानक ऐसा क्या हो गया? अंधेरे में वो गाड़ी से नीचे उतरा और गाड़ी के बोनट को ऊपर करते हुए देखने लगा की गाड़ी को क्या हुआ है? उसके बाद ड्राइवर ऐम्ब्युलन्स के अंदर फिर से दाखिल हुआ तो उसने देखा कि ऐम्ब्युलन्स में कोई भी नहीं था चेतन दिन ढलने की वजह से गायब हो चुका था उसे एक क्षण में उस कंकाली की रक्त चित्र ने वहाँ से खींचकर फिर उस गुफा में कैद कर लिया था चेतन रोने लगा उसे पता नहीं था की क्या करें? क्या ना करे आज रात उस गुफा में ही फिर से उसको रहना था अगर कंकाली की रक्त चित्र ने उसके शरीर के ऊपर मिट्टी के लेप से उसके खून द्वारा चित्र को पूर्ण कर लिया तो उसको पूरी उमर उसी गुफा में कैद होने का डर सताने लगा एक बार फिर से वो चिल्लाने लगा, दादी मुझे बचाओ, मुझे बचाओ दादी तब उसकी दादी वहाँ प्रकट हुईं और बोलने लगी

मैंने तुमको पहले ही बताया था वो रक्त चित्र की विधि वाला जो कपड़ा है यहाँ पर तुमको खुद लेकर आना होगा और उस मूर्ति के नीचे के सन्दूक में रखना होगा, लेकिन सुबह से लेकर शाम तक तुमने वैसा कुछ भी नहीं किया अब मैं तुम्हारे लिए क्या कर सकती हूँ?

तब वो दादी से बात करने लगा वो कहने लगा, जिस तरह तुमने मेरे सपने में आकर इस जगह बुला लिया था, उसी तरह तुम राजू के सपने में जाओ और उसको यहाँ बुलाकर लाओ उसको नींद से उठाकर यहाँ पर बुलाओ दादी वो तुम को नहीं पहचानता उसने तुम्हारा चेहरा नहीं देखा है, सिर्फ मैं ही तुम्हारा चेहरा पहचान ता हूँ, सिर्फ मैंने ही नहीं तुम्हारा चेहरा तस्वीर में देखा हुआ है फिर भी तुम उसको बताओ की तुम उसकी दादी हो और यहाँ पर उसको लेकर आओ, उसको यहाँ लाते वक्त उसके पास का विधि वाला कपड़ा, सभी पैसे और सोना यहाँ लाने को बोल ना मुझे किसी भी प्रकार की पैसे या धन की लालसा नहीं है मेरे माता पिता ठीक हो जाए, इतना ही मेरे लिए बहुत है आज ही मैं उस घाटी में मुंबई तक का सफर पूरा करने वाला था तभी शाम हो गयी और वहाँ पर वैन अचानक बंद हो गई मुझे कुछ समझ में आया उसके पहले ही उस गाड़ी के वोनट के ऊपर एक काली की रक्त चित्र बैठी हुई मैंने देखी वो मेरी तरफ देखकर विकृत रूप से हास्य करने लगी मैं उसके साथ कुछ बात करूँ इतने में उसने मेरे गले में हाथ डाला और कुछ ही पल में वो मुझे यहाँ लेकर आ गई

मैंने तुमको पहले ही सब बताया था की विधि को अच्छी तरह से पढ़ना बेटे अब रहने दो, मैं तुम्हें बचाने का आखिरी प्रयास करती हूँ, चाहे कुछ भी हो जाये, तुम्हारे शरीर के ऊपर वो कंकाली जो रक्त चित्र बना रही है, वो पूरी नहीं होनी चाहिए, नहीं तो तुम उम्रभर के लिए यहाँ पर कैद हो जाओगे और वो इंसानों की तरह बाहर आ जाएगी अब मुझे तुम्हें किसी भी कीमत पर बचाना ही पड़ेगा

उसकी दादी अचानक वहाँ से गायब हो गयी वो अपने सामने वाले कंकाली की रक्त चित्ररी की तरफ देखने लगा, तब उसने देखा की वो रक्त चित्र एक गाय के कंकाल के सामने वाली दीवार पर रखा हुआ है उसके ऊपर चित्र को निकालने की शुरुआत की हुई थी वो विचार करने लगा की रक्त चित्र गाय के कंकाल के ऊपर गाय की खाल के कंगाल के ऊपर गाय की खाल लपेटकर रक्त चित्र क्यों बना रही है? लेकिन उसका कहा हम तेजी से चल रहा था फिर उस कंकाली के रक्त जितनी ने उसके शरीर के ऊपर का काम करना शुरू कर दिया उस गाय के कंकाल की वजह से उसके शरीर का काम आधा अधूरा ही रह गया और तब तक सवेरा हो गया चेतन गुफा से मुक्त हो गया और वो एक बार फिर बड़ी तेज़ी से अपने माता पिता की तरफ जाने के लिए निकला सवेरा हो चुका था अब उसको ये आशा थी कि उसके भाई राजू के सपने में दादी कुछ ना कुछ तो सन्देश जरूर दें कराएगी और उसके बाद राजू यहाँ पर विधि वाला कपड़ा लेकर जरूर आएगा फिर एक बार अस्पताल की जगह पर 6 सात घंटे का अंतर चलने के बाद वो वहाँ पहुंचा तब उसको ध्यान में आया कि उसके भाई राजू ने उसके माता पिता का उपचार कराके मुंबई से वहाँ पर लाया है तब वो अपने भाई राजू को बोलने लगा मुंबई में क्या हुआ, वो रस्मों वाला कपड़ा कहाँ है, वो पैसा और सोना कहाँ है? तब उसके भाई राजू ने उससे बात बताई की एक बूढ़ी औरत आयी हुई थी वो अभी अभी वो रस्म वाला कपड़ा मेरे से छीनकर ले गई और सुना पैसा सबकुछ वो लेकर सामने चलते हुए जा रही है उसे वो चेतन के मन में एक प्रश्न उपलब्धि हुआ वो बूढ़ी औरत कौन है? क्या वो कंकाली की रक्त चित्ररी है, नहीं नहीं, वो दिन में यहाँ तक नहीं आ सकती वो विचार करने लगा कि दिन ढलने से पहले यहाँ से वो कपड़ा लेकर गुफा तक जाना ये काम अब संभव लग रहा है चाहे कुछ भी हो जाये अपने भाई राजू को अब वो राज़ बताना ही चाहिये और ये विचार मन में करते हुए वो उसके पास जाकर बैठा उसने राजू को सभी बातें अच्छी तरह से बताई तो राजू उससे बात करने लगा और बोला, तुमने जिस औरत का वर्णन किया है वो औरत अभी अभी यहाँ पर आई थी लगता है तुम जैसा बता रहे हो वो बिल्कुल कंकाली की रखते चित्र ही होगी मेरे पास आकर वो रस्मों वाला कपड़ा और पैसा, सोना सब कुछ ले कर चली गयी जब ये बातचीत उनको समझ में आयी तो वो ज़ोर ज़ोर से रोने लगा वह अपने भाई को बोलने लगा तुमने ऐसा क्यों किया? वो शैतानी शक्ति है उसको तुमने वो कपड़ा क्यों दिया? अब मुझे पूरी उम्र भर रात के समय इसी गुफा में कैद होना पड़ेगा

ये बात चल रही थी कि इतने में दिन ढाल गया था, शाम हो गयी थी वहाँ के कुछ बात कर पाए इतने वो मे भयानक सी कंकाली की रक्त चित्ररी वहाँ पर प्रकट हुई, उसने उसके गले में हाथ डाला और कुछ भी क्षणों में उसको वहाँ से खींच कर ले के गायब हो गयी ये सब देखकर चेतन का भाई राजू रोने लगा चेतन्य जैसे बताया था लगभग उसी तरह की घटना उसके सामने घट चुकी थी उसके बाद राजू ने तय कर लिया की वो अभी के अभी उसके भूकंपग्रस्त गांव की तरफ जाएगा वो और पूरी रात सफर करते हुए भोर के समय तक वहाँ पहुँच चुका था उसने पूरी सतर्कता से उस गुफा में प्रवेश किया उसके सामने एक चित्र में चित्र आकृति एक गाय के सिर के ऊपर रंग लगाते हुए दिखाई उसको ये समझ नहीं आ रहा था की ये क्या चल रहा है? वो और थोड़ी दूर जा पहुंचा और दीवार के ऊपर देखने लगा तब वो बहुत आश्चर्यचकित हुआ उसका भाई चेतन उसको दीवार की तरह दिखाई दिया उस गाय के सिर के ऊपर तक का चित्र अब रंग लगाकर पूरी तरह से तैयार हुआ था अब वो भयानक आकृति सामने वाले उसके भाई के शरीर के ऊपर खुद के रक्त से चित्र लेपन करने लगी वो उस आकृति से कुछ बात करे इतने में उस आकृति ने उसकी तरफ नज़र फेर लिए और उसको देखा तब वो एक ही पल में उस दीवार पर खड़ा हो गया वहाँ पर पेड़ की शाखाओं ने उसको बांध कर रखा हुआ था उसका छोटा भाई भी यहाँ पर आकर इस भयानक गुफा में बंद हो गया है

ये देखकर चेतन रोने लगा और राजू को कहने लगा तुम इस जगह पर क्यों आए मैंने तुम्हें पहले ही बताया था वो विधि वाला कपड़ा जब तक उस रखते चित्ररी को नहीं दूंगा यहाँ पर मैं खुद लेकर नहीं आ कर रखूँगा, तब तक मैं यहाँ से नहीं छोड़ने वाला, कम से कम तुम तो माता पिता की सेवा में वहाँ पर रह जाते तुम खामखा यहाँ पर आ गए अब तुम भी यहाँ पर आकर कैद हो चूके हो तुमने बहुत गलत काम किया है अब वो दोनों भाई भी रोने लगे दोनों भाई एक दूसरे के गले लगते हुए सोचने लगे की आज रात को ये चित्र पूरा हो जाएगा और उम्र भर के लिए यहाँ पर कैदी बनकर रह जाएंगे अब सवेरा हो चुका था 5–6 घंटे के अंदर कुछ भी करके उन दोनों को दवाखाने की ओर पहुंचना था जितना भी समय अपने नसीब में है, उतने समय में हमको अपने माता पिता की ओर जाना ही होगा कम से कम दिनभर का समय तो मैं अपने माता पिता की सेवा में गुजार सकूँ मेरे भाई राजू तुम्हें काम करना, रात का समय है तो माता पिता की सेवा में लगाना मैं बहुत बदनसीब हूँ मेरे नसीब

में ही यह कंकाल लेके रख के चित्र के कहर में रात भर रहना लिखा हुआ है जैसे तैसे दोनों भाई अस्पताल की ओर पहुँच चूके थे उनके माँ बाप को ठीक ठाक लग रहा था उनकी तबियत ठीक हो चुकी थी उन्होंने तय कर लिया की अस्पताल से डिस्चार्ज कर लिया जाये डिस्चार्ज लेने के बाद वह अपने घर की तरफ जाने के लिए निकले घर की तरफ जाने के बाद चेतन ने अपनी पेटी में बंद किया हो आपने दादी का फोटो दिखाया और बोला ये हमारी दादी है ये मेरे ख्वाबों में आई और इसी की वजह से मैं इस भयानक रक्त चित्र में कैद हो गया किसी बूढ़ी दादी की वजह से मैं रक्त चित्र के श्राप ने बंद हो गया हूँ जब तक कभी भी नहीं देखा हुआ वो फोटो उसके भाई राजू ने देखा और बोलने लगा दादा ये तो वही औरत है जो मेरे पास है वो रक्त चित्र का रस में लिखा हुआ कपड़ा लेकर और सोना लेकर चली गई थी उसने जब मुझसे वो रस्म वाला कपड़ा और सोना मांगा तो मैं उसको कुछ भी बोलना पाया सिर्फ वो जैसे बताती थी वैसे मैंने किया हे भगवान दादी तुम्हारे पास है, वो कपड़ा लेकर चली गई है इसका मतलब आज रात को वो कंकाली के रखते चित्र फिर से मुझे एक बार लेकर चली जाएगी दादा मैं भी तुम्हारे साथ वहाँ पे आऊंगा,

कुछ भी चिंता मत करूँ इस बात से कुछ ना कुछ तो हल निकल आएगा इसी दौरान शाम हो चुकी थी और उस जगह पर वो भयानक कंकाली उनके घर के दरवाजे के बाहर आकर बैठी हुई थी वो सुन ही रही थी, वो रो रही थी, उसकी आँखों में आंसू आए हुए थे उसने कुछ ही समय में चेतन के गले में हाथ डाला और उसको वहाँ से खींचते हुए गुफा की ओर लेकर चले गए उसका भाई राजू भी उसके पीछे पीछे उस दिशा में निकल पड़ा सवेरा होने से पहले वो पहुँच गया तब उसने उसकी आँखों के सामने अलग ही दृश्य देखा गाय के कंकाल के ऊपर की रक्त चित्र उसके ऊपर का शिल्प संपूर्ण हुआ था कंकाली उसके भाई के साथ बैठकर कुछ बातें कर रही थी राजू चलते हुए उसकी तरफ चला गया और वो देखने लगा तब उस कंकाली ने बात करना शुरू कर दिया वो बोली

बच्चों तुम सोच रहे होगे, मैंने मेरे पोते राजू से विधि का कपड़ा लिया था वो सोना और पैसे भी लिए हुए थे, फिर भी मैंने मेरे पोते को शाप से मुक्त कैसे नहीं किया? बच्चों ये कंकाली रक्त चित्ररी दूसरी, तीसरी कोई भी स्त्री नहीं वो मैं खुद हूँ मुझे इस विद्या की पूरी जानकारी है मैं मेरे बेटे को बीमारी से तड़प कर देख कर नहीं रह सकी इसलिए मैं अपने पोते चेतन के सपने में चली गई अस्पताल के इलाज के लिए कुछ पैसे जमा हो इसलिए इस विद्या के द्वारा उसको पैसे मिले इसलिए मैंने उसको यहाँ पर वो सपना दिखाकर बुलाया मैंने उस विद्या की सभी विधि को सपने में बताई थी लेकिन उसने एक गलती की और वो रस्म का कपड़ा, पैसे और सोने के साथ तुम्हारे पास दे दिया वो बहुत बड़ी गलती थी कल शाम जब मैंने तुम्हारे पास से वो कपड़ा और सोना वापस लाया लेकिन मैं मेरे बेटे को देखने के लिए भी आई थी मैंने जब मेरे बेटे को और मेरे बहू को देखा तब मेरे मन की इच्छा पूर्ण हुई वो विधि वाला कपड़ा जब तक यहाँ तक नहीं पहुँच जाता तब तक मुझको यहाँ पर चित्र को पूरा करना ही था और उस कंकाली की विधि के अनुसार मुझे यहाँ पर खींच कर ले कर आना ही पड़ता था लेकिन जब तुम यहाँ पर आये थे तब मैं एक गाय के कंकाल पर चित्र बना रही थी तब तुम्हारे छोटे भाई राजू ने मुझे देखा था मेरा पोता इस भयानक विधि में कैद ना हो जाए इस डर से मैंने गाय की अस्थियों को यहाँ पर लाकर इस दीवार में स्थित किया और उसके ऊपर रक्त चित्र बनाने लगी आज ही रात को वो रक्त चित्र की शिल्पी पूर्ण रूप से तैयार हुई अब मैं सवेरा होने पर उस गाय के रूप में समाविष्ट हो जाउंगी और इस तरह से

मैं गाय के रूप में गांवों भर में घूमूँगी और मेरे परिवार को रोज़ देख पाऊंगी मेरे पोते मैं तुम्हारे शरीर के ऊपर कंकाली रक्त चित्र पूरी करके पूरी उम्र भर तुम्हारे शरीर में जी सकती थी लेकिन मेरे बेटे और बहू को रोते हुए नहीं देख पाती तुम यहाँ पर नहीं हो, यह सोचकर मेरा बेटा और मेरे बहु मर जाते इसलिए मैंने उस गाय का कंकाल का इस्तेमाल करके इस विधि से छुटकारा पाने का उपाय तैयार कर लिया और इसी वजह से वो गाय का चित्र में पूरी तरह से बना सकी और पूरी रात को ये गा यहाँ पर कैद रहेंगी और दिन होने के बाद मैं खुद गांवों भर अपने परिवार को देख पाऊंगी

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