भोपाल का “ताजमहल” | “Taj Mahal” in Bhopal

Creativecorners99
3 min readJun 4, 2020

ताजमहल का नाम सुनते ही जो सबसे पहले दिमाग में आता है वो है आगरा का ताजमहल। जैसा कि आप जानते है कि वो सात अजूबों में से एक है। पर क्या आप जानते है कि एक ताजमहल और है और वो आगरा में नहीं बल्कि भोपाल में है। चौकिए मत आपको बताते है भोपाल का “ताजमहल” | “Taj Mahal” in Bhopal के बारे में जो कि इतिहास का नमूना है।

भोपाल का “ताजमहल” | “Taj Mahal” in Bhopal भी मुगल वास्तु कला का अद्भुत नमूना है। इस ताजमहल का निर्माण किसी शहंशाह ने नहीं वरन भोपाल की एक बेगम ने कराया था। उनका नाम शाहजहां बेगम था।

वो भोपाल रियासत की बेगम रही थीं। उन्होंने ताजमहल का निर्माण अपने खुद के निवास के लिए कराया था। इस ताजमहल में सैकड़ों कमरों के अलावा आठ बड़े हॉल हैं। दावतें और बैठकें इन्हीं हॉल में हुआ करती थीं। इस ताजमहल के निर्माण में कुल तेरह साल लगे। साल 1871 में इसका निर्माण चालू हुआ था। 1884 में यह बनकर तैयार हुआ। आइए जानते है कि ऐसे क्या कारण है जो उसको अलग बनाते है।

भोपाल की इस बेगम ने इसको बनावाया और इसका नाम राजमहल रखा था। लेकिन इसकी खूबसूरती इतनी ज्यादा थी कि इसको ताजमहल का नाम दिया गया था। सत्रह एकड़ में बना यह ताजमहल बाहर से पांच मंजिल और अंदर दो मंजिल है. भवन के निर्माण पर उस दौर में कुल तीन लाख रुपए का खर्च आया था। महल बनने के बाद तीन साल तक बेगम ने जश्न मनाया. भोपाल का शाहजहांबाद इलाका, इन्हीं बेगम के नाम पर है।

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क्या आप जानते है कि इस ताजमहल की कई ऐसी खूबियां है जो आपको हैरान कर देंगी। इसकी पहली खूबी इसका दरवाजा है। इसके दरवाजे का वजन एक टन से ज्यादा है। कई हाथियों की ताकत भी इस दरवाजे को तोड़ नहीं सकतीं थीं। दरवाजा इतना विशाल है कि 16 घोड़ों वाली बग्गी भी 360 डिग्री में घूम सकती थी। इस दरवाजे की नक्काशी में रंगीन कांच का प्रयोग किया गया था। इस कारण इसे शीशमहल भी कहा जाता है। कांच पर पड़ने वाली सूरज की रोशनी से उत्पन्न होने वाली चमक लोगों की आंखों पर पड़ती थी। इसमें घुसने के लिए आपको इस दरवाजे से निकलने के लिए आपको सर झुकाना पड़ेगा।

भोपाल का “ताजमहल” | “Taj Mahal” in Bhopal का निर्माण बेगम के निवास स्थल के रूप में किया गया था इसकी लागत 3,00,000 रुपए थी और यह 13 वर्ष में बनकर तैयार हुआ था सन 1871 से लेकर 1884 तक यह उस समय के सबसे बड़े महलों में से एक था। इस महल का शुरूआती नाम राजमहल था लेकिन भोपाल के बर्तानिया अध्यक्ष , इसके वास्तुकला से अत्यंत प्रभावित हुए तथा उन्होंने इसका नाम ताजमहल रखने के लिए सुझाया। ताजमहल जोकि आगरा में स्थित है यह शाहजहां ने अपनी बेगम के याद में बनाया था। भोपाल की बेगम ने उनके इस प्रस्ताव को स्वीकार किया तथा इसका नया नाम ताजमहल रखा गया। कहा जाता है कि बेगम ने इस माहल के बन जाने पर 3 साल तक जश्ने ताजमहल नाम का उत्सव मनाया।

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