चुरकी मुरकी छत्तीसगढ़ी कहानी | Chhattisgarhi Kahani Churki Au Murki

Devwrat
2 min readSep 21, 2022

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जय जोहार संगी हो आप सभी की पसंदीदा कहानी चुरकी मुरकी छत्तीसगढ़ी कहानी | (Chhattisgarhi Kahani Churki Au Murki) सबसे ज्यादा छत्तीसगढ़ के लोककथा में प्रचलित कहानी में से एक है । हमारे समय में भी इस लोक कथा को हम सुनते आ रहे है लेकिन आज भी यह कहानी उतनी ही अच्छी लगती है जितनी की पहले के समय में अपने दादा , दादी के पास में बैठकर के सुनते आ रहे थे ।

जब भी चुरकी मुरकी छत्तीसगढ़ी कहानी | Chhattisgarhi Kahani Churki Au Murki लोक कथा को पड़ते है या सुनते है तो हमें अपने बचपन के याद आ जाती है । की कैसे हम अपने दादा जी के गोद में बैठकर के chhattisgahi kahani का सुनते थे ।

तो चलिए दोस्तों आप सभी की और हमारी प्राचीन chhattisgahri kahani चुरकी मुरकी छत्तीसगढ़ी कहानी | Chhattisgarhi Kahani Churki Au Murki को बड़े ध्यान से पढ़ते है ।

चुरकी मुरकी छत्तीसगढ़ी कहानी | Chhattisgarhi Kahani Churki Au Murki

तइहा के बात आये यह ठन गांव माँ दू बहिनी राहये । एक झन के नाम राहये चुरकी ता दूसर के नाम राहये मुरकी । जैसे उकर नाम के नाम वइसने उकर मन के स्वभाव ।

चुरकी के आदात अउ व्यव्हार है बढ़ सुघ्घर ओहा सब के भला करने वाली , सब के मदद करने वाली लड़की रथे । फेर मुरकी जउन है रथे तेहै एकदम मुड़ी अउ ठीठ किस्म के टुरी रथे ओहा बढ़ घमडी रथे ।

चुरकी अउ मुरकी के गांव ले थोरकिन दूरिया मा ओकर ममा के गांव राहये । चुरकी है गुंथे बढ़ दिन हो गेहे मोला ममा यंहा गे मोला ममा यंहा जाना चाही । अइसने गन के चुरकी है दूसर दिन ममा गांव जाए बर निकल जथे ।

ममा गांव जाये के रद्दा मा बढ़ जंगल झाड़ी अउ नदिया आथे । चुरकी है रेंगत रेंगत ममा गांव जावत रथे अतकेच मा रद्दा मा ओला एक ठन बोइर के रुख है दिखथे ।

वो बोइर के रुख है चुरकी ला कथे — सुन तो नोनी । चुरकी है येति कोती ला देखथे — कौन मोला हाँक पारत हे ।

अतकेच मा बोइर के रुक है कथे — में हरो नोनी बोइर के पेड़ । चुरकी है बोइर के रुख ला देखथे कथे — का होंगे वो सब बने बने तो हे न ।

एमा बोइर के रुख है कथे सब बने बने नोनी फेर तेहा मोर एक ठन मदद करबे का । चुरकी हा कथे कबर नई करहु बता न का करना हे ।

ता बोइर के रुख हा कथे — नोनी मोर खाल्हे मा बढ़ कांटा मन के कचरा हा बगर गे हे । येति ले जउन रद्दा रेंगइया नाहकथे वो मन मोर कांटा ले बढ़ परसानी होथे । का तेहा ये कांटा के सफाई कर देबे ………..:read more

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Devwrat

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