बुरे कर्म करके कहां छिपोगे , आकाश वायु धरती सब उसी का है ।
चिंता से चतुराई घटे , घटे रूप और ज्ञान, चिंता बढ़ी अभागिनी, चिंता चिता समान ।
तुलसी भरोसे राम के निर्भय होके सोए , अनहोनी होनी नहीं, होनी होय सो हो ।
चिंता किस लिए करनी चिंता, चिता के समान है, जो होना नहीं है वह होगा ही , नहीं वह तो होगा ही नहीं तो फिर चिंता कैसी? और जो होना है वह होकर रहेगा , तो फिर चिंता किस बात की। hindi story:…… read more https://hindisuccesskey.com/%e0%a4%b8%e0%a4%9a%e0%a5%8d%e0%a4%9a%e0%a5%80-%e0%a4%94%e0%a4%b0-%e0%a4%85%e0%a4%a8%e0%a4%ae%e0%a5%8b%e0%a4%b2-%e0%a4%ac%e0%a4%be%e0%a4%a4%e0%a5%87%e0%a4%82/