Govind Dev Ji Temple Jaipur, India (History, Architecture, Live Darshan, Timings) — Jaipur Tourism 2022

Prince Narula
4 min readNov 22, 2022

--

राजस्थान प्रदेश की राजधानी जयपुर के आराध्य श्री गोविंद देव जी की महिमा अनंत मानी जाती है। एक हाथ में बांसुरी लिए, राधा-रानी के साथ विराजमान, भगवान कृष्ण की मनमोहक छवि इस मंदिर परिसर में देखने को मिलती है। राजस्थान के इतिहास में इस भव्य मंदिर का बहुत अधिक महत्व बताया जाता है। जयपुर के महाराजा सवाई जय सिंह ने अपने महल की संरचना इस प्रकार करवाई, की वे कक्ष में सुबह उठते ही सबसे पहले श्री कृष्ण के दर्शन कर सके।

कहा जाता है, इस मंदिर में विराजमान भगवान कृष्ण की प्रतिमा उनके वहां साक्षात उपस्थित होने का आभास कराती है। राजस्थान के लोकप्रिय मंदिरों में से एक, श्रीराधा गोविन्द मंदिर में प्रतिदिन हजारों की संख्या में भक्तों की भीड़ देखने को मिलती है। इसके साथ गोविंद देव जी लाइव दर्शन (govind dev ji live darshan) की सुविधा भी बहुत से ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर उपलब्ध है।

यह मंदिर और भी सुंदर और आकर्षक प्रतीत होता है, जब भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव का समय नजदीक हो। जिस उत्सव को हम सभी जन्माष्टमी के नाम से जानते है। जन्माष्टमी के लगभग एक हफ्ते पहले से मंदिर परिसर में विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इस अवसर पर लाखों की संख्या में यहां दर्शनार्थियों की भीड़ देखने को मिलती है। इतना ही नही इस मंदिर से जुड़ी अन्य बहुत से रोचक तथ्य है, जो कि आज इस आर्टिकल के माध्यम से, हम आपके साथ साझा करने जा रहे है। आइये जानते है-

Dharmsaar.com

गोविंद देव जी मंदिर का इतिहास | History of Govind Dev Ji Temple

गोविंद देव जी को भगवान कृष्ण के ही एक स्वरुप में पूजा जाता है। श्री गोविंद देव जी, आमेर के कछवाहा वंशजों के कुल देवता के रूप में जाने जाते थे, यही कारण है की उनकी पूजा-पाठ का इतना महत्व बताया जाता है।

आपको यह जानकर आश्चर्य हो, लेकिन गोविंद देव जी यह प्रतिमा राजस्थान नहीं बल्कि वृंदावन के मंदिर से संबंध रखती है। मंदिर स्थापित होने के लगभग 450 साल पहले यह मूर्ति खुदाई के दौरान श्री चैतन्य महाप्रभु के शिष्य श्रील रूप गोस्वामी को मिली थी।

इस मंदिर के बारे में जानने के बाद,आमेर के महाराजा, सवाई मान सिंह ने मुगल सल्तनत के बादशाह अकबर की सहायता से, सन 1590 ईस्वी में वृंदावन में एक भव्य मंदिर का निर्माण किया। मंदिर के निर्माण हेतु लाल बलुआ पत्थर का इस्तेमाल किया गया अकबर द्वारा दान किया गया था, जिसका प्रयोग आगरा किले के निर्माण के लिए किया जाना था। इतना ही नहीं सम्राट अकबर ने पशुधन और चारे के लिए भी लगभग 135 एकड़ भूमि दान में दे दी थी।

लेकिन जब 17 वीं शताब्दी में औरंगजेब का शाशन काल चल रहा था, तो उसने सभी हिंदू मंदिरों को तोड़ना शुरू कर दिया था। उस समय श्री शिव राम गोस्वामी द्वारा गोविंद जी की मूर्ति का रखरखाव किया गया। जिस कारण वृंदावन की बहुत सी मूर्तियों का स्थानांतरण किया गया। चूंकि गोविंद देव जी, महाराजा सवाई जय सिंह के वंशजों के कुल देवता थे, इसलिए उन्होंने गोविंद देव जी मूर्ति की सुरक्षा का जिम्मा उठाया और इसे आमेर घाटी में रखा। इसी कारण सन 1714 ईस्वी में उन्होंने आमेर की घाटी का नाम बदलकर कनक वृंदावन रख दिया।

महाराजा सवाई मान के लिए यह संभव नही था की वे गोविंद जी की मूर्ति को खुले में रख सकते थे। इस कारण वे गोविंद देव जी मूर्ति को जयपुर लाए, जिसके बाद स्वयं श्री कृष्ण भगवान ने उनके सपने में आकर उन्हें मंदिर निर्मित करने के निर्देश दिए। तब सवाई जय सिंह द्वारा सन 1735 ईस्वी में सूर्य महल में इस मूर्ति को स्थापित किया गया। जिसके बाद उन्होंने खुद के निवास के लिए एक अलग महल, चंद्र महल बनवाया। चंद्र महल को इस तरह से बनावाया गया था की उनकी सबसे पहली दृष्टि गोविन्द देव जी मूर्ति पर पड़े।

गोविंद देव जी मंदिर की वास्तुकला | Architecture of Govind Dev Ji Temple Jaipur

गोविंद देव जी की मंदिर परिसर का निर्माण बलुआ और संगमरमर के पत्थरों से किया गया है। इस मंदिर में राजस्थानी व मुस्लिम वास्तुकला का अध्भुत सामंजस्य देखने को मिलता है। इसके साथ ही इसकी वास्तुकला में शास्त्रीय भारतीय तत्वों का मिश्रण भी यहां देखने को मिलता है। मंदिर के चारों और एक बगीचा है, जिसे तालकटोरा के नाम से जाना जाता है। इसके अतिरिक्त मंदिर परिसर की दीवारों को चित्रों के साथ ही झूमरों से सजाया है।

गोविन्द देव जी मंदिर दर्शन समय | Govind Dev Ji Temple Darshan Timings

मंगला 04:30 to 05:00 AM
धूप 07:45 to 09:00 AM
श्रृंगार 10:15 to 11:00 AM
राजभोग 11:30 to 12:00 PM
ग्वाल — 05 :30 to 06 :00 PM
संध्या — 06:30 to 19:45 PM
श्यन — 08:15 to 08:45 PM

गोविंद देव जी मंदिर जयपुर के पास घूमने की जगह | Places to Visit near Govind Dev ji Temple

1.सिटी पैलेस
2. जय निवास उद्यान
3. हवा महल
4. जंतर मंतर
5. त्रिपोलिया बाजार

यदि आप मंदिर में किसी कारणवश न भी पहुंच पाए तो, घर बैठे गोविंद देव जी लाइव दर्शन (govind dev ji live darshan) के माध्यम से भी दर्शन कर सकते है। राधे-राधे !

--

--

Prince Narula
0 Followers

I am an SEO Executive in Dharamsar having 2 years of experience in Digital Marketing. Chalisa, Aarti, Bhajan, Mantra, and Yantra are available on Dharmasar.