अपनत्व

Teena Sharma "Madhavi"
2 min readApr 12, 2023

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हाथ में कुत्ते का बहुत छोटा पिल्ला देखकर रागिनी ने उसे डांटते हुए कहा — “फिर ले आए तुम कुत्ता…! बाहर छोड़ो इसे।’’ मैं इसे अंदर नहीं लाने दूँगी। पढ़िए लेखक सुनीता बिश्नोलिया की लिखी कहानी अपनत्व….।

“ममा….जल्दी गेट खोलो !” डोर बेल बजाने के बाद भी बिल्लू दरवाज़ा खोलने के लिए मम्मी को आवाज़ लगा रहा था और घंटी की एक आवाज में रागिनी ने दरवाज़ा खोल दिया। दरवाज़ा खुलते ही बिल्लू जल्दी से घर के अंदर आने लगा।

सुनीता बिश्नोलिया

पर बिल्लू के हाथ में कुत्ते का बहुत छोटा पिल्ला देखकर रागिनी ने उसे डांटते हुए कहा — “फिर ले आए तुम कुत्ता…! बाहर छोड़ो इसे। मैं इसे अंदर नहीं लाने दूँगी चलो.. चलो छोड़ कर आओ इसे जहाँ से लाए हो।”

पर बिल्लू का पूरा ध्यान उस पिल्ले पर ही था इसलिए मम्मी की बात को अनसुनी करते हुए मम्मी को अपना ट्यूशन बैग पकड़ाते हुए वो फिर बोला — “ममा इसे उढ़ाने के लिए जल्दी से कोई कपड़ा लाओ ना देखो ठंड के मारे ये कैसे कांप रहा है ।” मम्मी बिल्लू की बात का कोई जबाव देती इससे पहले ही वो फिर बोल पड़ा -

“ ममा जल्दी करो ना..! देखो ये कैसे रो रहा है शायद इसे भूख भी लगी है, थोड़ा दूध भी गर्म करके लाना।”

बहुत गुस्सा आया था रागिनी को बिल्लू पर वो कहना चाहती थी -” आए दिन गली के कुत्तों को घर उठा लाता है..हर बार तो घर के बाहर खाना दे देता था पर आज तो घर के अंदर ही…!” पर बिल्लू द्वारा उस छोटे से पिल्ले की परवाह और संवेदना को देखकर रागिनी ने उसे कुछ नहीं कहा। बिल्लू की कोमल भावनाओं और उस सहमे हुए पिल्ले को देखकर रागिनी का निर्मल मन पिघल गया।

सुनीता बिश्नोलिया

बिल्लू को उस पिल्ले के साथ एक जगह बैठने का निर्देश देकर वो अंदर गई और अपना पुराना स्कार्फ ले लाई । बिल्लू ने जल्दी से माँ के हाथ से स्कार्फ लेकर अच्छी तरह उसे पिल्ले को उढ़ा दिया।

कहानी पूरी पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें —

सुनीता बिश्नोलिया

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Teena Sharma "Madhavi"

मैं मूल रुप से एक ‘पत्रकार’ और ‘कहानीकार’ हूं। ‘कहानी का कोना’ नाम से मेरा ब्लॉग चलता हैं..। https://kahanikakona.com/