हे नव-वर्ष प्रेरित करो हमें
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नव वर्ष में नव-नव कल्पनाएँ लेकर,
क्यों नहीं मन को हमारे संजोए हम।
स्वप्नों का ताना-बाना बुनें हम रोज़,
साकार स्वप्न ये क्यों न कर लें हम।
स्वागत है हे नव-वर्ष प्रेरित करो हमें,
अपना भविष्य उज्ज्वल कर लें हम।
त्याग दें हम अपनी सारी संकीर्णता,
अपने मनों को विशाल कर लें हम।
भर कर शक्तियाँ अपने मस्तिष्क में,
अपने को क्यों न उन्नत कर लें हम।
नव-वर्ष में नव-नव कल्पनाएँ लेकर,
क्यों न मनों को हमारे संजोये हम।
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‘कहानी का कोना’ में पढ़िए लेखक/ कवि एवं भारतीय सेना में अहम पदों पर रहे रिटायर ‘कर्नल कौशल मिश्र’ की लिखी कविता, हे नव-वर्ष प्रेरित करो हमें…।