गूंगी कविता
पढ़िए लेखिका, कवियित्री निरुपमा चतुर्वेदी ‘रूपम’ की लिखी कविता ‘गूंगी कविता’…। ‘मौन की चीत्कार’ से जन्मी ‘गूंगी कविता’ स्त्री मन की विभिन्न परतों को खोल उसके भीतर छुपे कई गहरें भावों की अनुभूति कराती है..। लेखिका निरुपमा चतुर्वेदी की मुख्य विधा — ग़ज़ल, मुक्तक और गीत हैं..।
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कितनी ही बार
अपने अश्कों
के समुंदर में नहायी हूँ
कई बार चीखी व चिल्लाई हूँ
ख़ुद को अभिव्यक्त करने ,
सही साबित करने के लिये
पर कौन सुनता है
सब ही तो बहरे हैं
अन्याय करने वाला भी
और न्याय की पुकार
सुनने वाला भी
आवाजों की अनसुनी में
ढह जाती है
विश्वास की दीवार
खत्म होती जाती है
रिश्तों की दरकार
इस खींचातानी में
साध लेती है
मेरी प्रज्ञा
मौन की चीत्कार
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