बंजर ही रहा दिल

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कहानी का कोना में आज पढ़िए लेखक सुमनजीत कौर की लिखी हुई कविता बंजर ही रहा दिल…। सुमनजीत कौर का एकल काव्य संग्रह “सादगी” राजस्थान साहित्य अकादमी से अनुमोदित हैं, साथ ही इन्हें कई साहित्यिक सम्मान भी प्राप्त हैं।

बंजर ही रहा दिल
हर जमीन की खुदाई में
न ही निगाहों के बीज थे
ना ही सपने के शजर थे

तन्हां गुजर गया सफर
हर राह से खास यारी के बाद भी
ना ही कदमों में बेकरारी थी
ना ही मंजिल की जुस्तजू थी

सुमनजीत कौर

बेमतलब ही ज़िंदगी के
कॉलम खाली रह गए
ना ही इम्तहान में सवाल थे
ना ही नतीजों में जवाब थे

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Teena Sharma "Madhavi"

मैं मूल रुप से एक ‘पत्रकार’ और ‘कहानीकार’ हूं। ‘कहानी का कोना’ नाम से मेरा ब्लॉग चलता हैं..। https://kahanikakona.com/