मीठे नीम से पिता
आज ‘फादर्स डे’ हैं। यानी पिता को ये महसूस करवाने का दिन कि आप उनके लिए बेहद ख़ास हैं। पिता एक संबल हैं, दर्शन हैं, हौंसला हैं, एक भरोसा और विश्वास भी हैं। जिसने हर मुश्किल से मुश्किल चुनौती में भी हंसते हुए आगे बढ़ना सीखाया हैं। ‘कहानी का कोना’ में आज ‘फादर्स डे’ पर पढ़िए लेखक, कवि और सुबोध महाविद्यालय, जयपुर में अंग्रेजी विभाग की सहायक प्रोफेसर डॉ नेहा पारीक की लिखी कविता मीठे नीम से पिता ….।
हर समय दुलारती है माँ
तो यथोचित लताड़ते हैं पिता
शायद ये जानकर कि इसी से उनकी औलाद बनेगी चीता।
माँ अगर है रंगोली आँगन की
तो पिता के बिना जीवन है रीता
जो माँ है स्नेह की तुरपन
तो पिता हर उधड़न को बखूबी है सीता
माँ के अटूट विश्वास से संबल मिला
तो पिता ने भी तो बहायी है सुख की सरिता
माँ ने समर्पण है सिखाया………………
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