राखी: रिश्ते का रिन्युअल
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रक्षा बंधन का नाम आते ही मन में कितनी ही कोमल भावनाएं और अहसास एकाएक जाग जाते हैं। पढ़िए ऐसे ही अहसासों को राखी: रिश्ते का रिन्युअल शीर्षक के साथ, कवयित्री नूतन गुप्ता की लिखी ये बातें —
जिन बहनों के भाई हैं वे उत्साहित होती हैं किन्तु जिनके भाई नहीं होते वे पहले उदास हो जाया करती थीं अब सकारात्मक सोच के साथ बहनें आपस में एक दूसरे को रक्षा सूत्र बांध लेती हैं।
रक्षा बंधन का नाम आते ही मन में कितनी ही कोमल भावनाएं और अहसास एकाएक जाग जाते हैं। पढ़िए ऐसे ही अहसासों को राखी: रिश्ते का रिन्युअल शीर्षक के साथ, कवयित्री नूतन गुप्ता की लिखी ये बातें —
जिन बहनों के भाई हैं वे उत्साहित होती हैं किन्तु जिनके भाई नहीं होते वे पहले उदास हो जाया करती थीं अब सकारात्मक सोच के साथ बहनें आपस में एक दूसरे को रक्षा सूत्र बांध लेती हैं।
हमने संस्कारों में पाया है कि हमारी रक्षा भाई ही करेगा चाहे वो छोटा हो या बड़ा। हर बहन ईश्वर से यही प्रार्थना करती है कि उसे एक भाई ज़रूर दें ताकि वह उसकी कलाई पर राखी बांध सके। लगभग संपूर्ण भारत में यह त्योहार इसी रूप में मनाया जाता है।
हम भी यह त्योहार प्रत्येक वर्ष भाई की कलाई पर राखी बांधकर मनाते हैं। चाहे बहनों को हज़ारों मील दूर से आकर राखी बांधनी पड़े।
परंतु क्या यह लकीर पीटना आवश्यक है? क्या केवल राखी का महत्व है?
खून के रिश्ते क्या रिन्युअल से ही मान्य है? भावनाएं अपनी जगह है परंतु इस त्योहार पर भी अब बाज़ार वाद पूरी तरह से हावी हो गया है।
हमने संस्कारों में पाया है कि हमारी रक्षा भाई ही करेगा चाहे वो छोटा हो या बड़ा। हर बहन ईश्वर से यही प्रार्थना करती है कि उसे एक भाई ज़रूर दें ताकि वह उसकी कलाई पर राखी बांध सके। लगभग संपूर्ण भारत में यह त्योहार इसी रूप में मनाया जाता है।
हम भी यह त्योहार प्रत्येक वर्ष भाई की कलाई पर राखी बांधकर मनाते हैं। चाहे बहनों को हज़ारों मील दूर से आकर राखी बांधनी पड़े।
परंतु क्या यह लकीर पीटना आवश्यक है? क्या केवल राखी का महत्व है?
खून के रिश्ते क्या रिन्युअल से ही मान्य है? भावनाएं अपनी जगह है परंतु इस त्योहार पर भी अब बाज़ार वाद पूरी तरह से हावी हो गया है।
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