सन्दूक
‘कहानी का कोना’ में पढ़िए लेखिका दीप्ति मिश्रा की लिखी कविता ‘सन्दूक’…। इस सन्दूक में रखे एहसास आपको बुदबुदाएंगे तो कभी यादों की झिलमिल करती दुनिया की सैर कराएंगे..। दीप्ति मिश्रा युवा लेखिका है और विभिन्न पत्र — पत्रिकाओं में इनकी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं।
देखा है मैंने माँ का वह पुराना ‘सन्दूक’
जो उसे उसके ब्याह में मिला था
कुछ मायके और कुछ ससुराल की
ढेरों यादें समाई हैं उसमें
देखा है मैंने माँ का वह पुराना ‘सन्दूक’
वो मेरी छठी का ‘छटूलना’
अब भी वहीं ‘सन्दूक’ के तले में पड़ा था
और मेरे वो छोटे छोटे चक्की चूल्हा
वो भी वहीं से चिढ़ाने लगे मुझे
माँ की दादी सास के हाथ का बना
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