Pooja Punethaदुआ का सफ़रदरगाह के धागे में बंधती मंदिर के दीये में जलती गिरिजा की ख़ामोशी में बसती तावीजों में बंद सिसकती दो हथेलियों में जुड़ती सजदे में झुकती टोटकों…Feb 16, 2017Feb 16, 2017
Pooja PunethainUrdu Studioबोलने में कम से कम बोलूँ; कभी बोलूँ, अधिकतम न बोलूँ: विनोद कुमार शुक्लसरल और सहज सी नज़र आने वाली ये कविता विनोद कुमार शुक्ल की है । वही विनोद कुमार शुक्ल जिन्हें कुछ आलोचक बंद दरवाज़े का कवि कहते हैं । कहते…Jan 1, 2017Jan 1, 2017