Pranjul Shuklaफ़ारसी का हिंदुस्तानी ज़बान पे असरफ़ारसी और अरबी दोनों की क़दीम ज़बाने हैं , इन भांषाओं का सदियों से भारत पर असर रहा है , फ़ारस या पर्शिया यानि आज का ईरान भारत का हमेशा से…Mar 17, 2020Mar 17, 2020
Pranjul Shuklaजनता की जीत या फ़िरकापरस्ती की फ़तेहभाजपा की बेमिसाल जीत के बाद बाज़ार काफ़ी गर्म है , बेशुमार लोग इस फ़तेह के जश्न में शामिल हैं , तो कई ऐसे भी हैं जिन्हें इस जीत ने सोंचने पर…Jun 10, 2019Jun 10, 2019
Pranjul Shuklaहिंदुस्तानी अदबतो बात जब हिंदुस्तान के मुख़्तलिफ़ साहित्यों की हो तो उसमें हिंदुस्तानी ज़बानों को देखना बेहद ज़रूरी है , कश्मीरी ज़बां कौशुर से ले कर तमिल तक…May 24, 2019May 24, 2019
Pranjul Shuklaहिंदी-उर्दू का क्षेत्रीय भांषाओं पर पड़ता असरहिन्द-उर्दू दोनों ही काफ़ी मक़बूल ज़बाने हैं लेकिन इनका असर आज भारत में क़स्बाती बोलियों पर पड़ रहा है , खासतौर पर हिंदी का , हिंदी के प्रचार…May 17, 2019May 17, 2019