Lotus Temple History In Hindi — लोट्स टेम्पल का इतिहास

Sadhana Pal
4 min readFeb 7, 2019

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कमल मंदिर भारत की राजधानी दिल्ली के नेहरू प्लेस में स्थित है। यह एक बहाई उपासना मंदिर है। यह मंदिर अपने आप में एक बहुत ही अद्भुत मंदिर है क्योंकि न तो इस मंदिर में कोई मूर्ति है और न ही इसमें किसी भी प्रकार का कोई धार्मिक कर्म-कांड होता है। कमल मंदिर(Lotus Temple) की संरचना कमल के फूल की तरह की गयी है जिस कारण दिल्ली स्थित यह मंदिर प्रमुख आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है। जिसे देखने किसी भी धर्म को मानने वाला कोई भी व्यक्ति आ सकता है।

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यह मंदिर बहुत ही लोकप्रिय है जिसे देखने के लिए प्रतिदि देश और विदेश से करीब 10 हजार से ज्यादा पर्यटक आते हैं। इस मेंदिर की संरचना को कई पुरस्कार के साथ 125 से भी ज्यादा अखबारों में प्रकाशन के साथ कई पत्रिकाओं में इससे सम्बन्धित लेख भी लिखे गये हैं। भारत के लोग कमल के फूल को पवित्रता और शांति का प्रतीक मानते है इसके साथ ही कमल के फूल को ईश्वर का अवतार का चिन्ह भी माना जाता है। कमल मंदिर के आसपास का वातावरण बहुत ही शांत और स्वच्छ है, जो प्रार्थना और ध्यान करने के लिए बहुत ही उचित माना गया है।

कमल मंदिर का रोचक इतिहास–

इस मंदिर का उदघाटन दिनांक 24 दिसम्बर 1986 को किया गया लेकिन इसे आम जनता के लिए 1 जनवरी 1987 को खोला गया। इसकी आकृति कमल के फूल की तरह होने के कारण इस कमल मंदिर या Lotus Temple के नाम से पुकारा जाता है।

यह मंदिर करीब 26 एकड़ जमीन में बना है जो भारतीय सौन्दर्य का न केवल प्रतीक है बल्कि सभी धर्मों की एकता और शांति का प्रतीक भी है। इस इमारत में 27 खड़ी मार्बल की पंखुड़ियां बनी है जिसे 3 और 9 के आकार में बनाया गया है। कमल मंदिर का सैन्ट्रल हॉल 40 मीटर लम्बा है जिसमें करीब 2500 व्यक्ति एक साथ आ सकते हैं।

कमल मंदिर का निर्माण करने वाला व्यक्ति ईरानी था जो कनाडा में रहता है। मंदिर के वास्तुकार का नाम Fariborz Sabha है, जिन्होंने सन 1976 में इसका डिजाइन तैयार कर निर्माण करना प्रारम्भ कर दिया था।

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बहाई उपासना मंदिर उन मंदिरों में से एक है जो गौरव, शांति एवं उत्कृष्ठ वातावरण को ज्योतिर्मय करने के साथ किसी भी श्रद्धालु को आध्यात्मिक रूप से प्रोत्साहित करने के लिए बहुत आवश्यक है। उपासना मंदिर मीडिया प्रचार प्रसार और श्रव्य माध्यमों में पर्यटकों को सूचनाएं प्रदान करता है।

मंदिर में पर्यटकों को आर्किषत करने के लिए बड़े-बड़े घास के मैदान, सफेद विशाल भवन, ऊंचे गुंबद वाला प्रार्थनागार और प्रतिमाओं के बिना मंदिर से आकर्षित होकर हजारों लोग यहां मात्र दर्शक की करने के लिए ही नहीं बल्कि प्रार्थना एवं ध्यान करने तथा निर्धारित समय पर होने वाली प्रार्थना सभा में भाग लेने के लिए भी आते हैं। यह विशेष प्रार्थना हर घंटे पर पांच मिनट के लिए आयोजित की जाती है।

बहाई धर्म बहाई पंथ उन्नीसवीं सदी के ईरान में सन १८४४ में स्थापित एक नया धर्म है जो एकेश्वरवाद और विश्वभर के विभिन्न धर्मों और पंथों की एकमात्र आधारशिला पर ज़ोर देता है बहाई ध्रर्म की स्थापना बहाउल्लाह ने की थी, इनके अनुसार दुनिया के सभी मानव धर्मों का एक ही मूल है। बहाउल्लाह को कल्कि अवतार के रूप में माना जाता है जो सम्पूर्ण दुनिया को एक कनरे के लिए आये हैं, इनका उद्देश्य और संदेश “समस्त पृथ्वी पर एक देश है और मानवजाति इसकी नागरिक”।

बहाई धर्म एक नया स्वतंत्र धर्म है। बहाई धर्म के अनुयायी सम्पूर्ण विश्व के लगभग १८० देशों में समाज-नवनिर्माण के कार्यों में जुटे हुए हैं। बहाई धर्म में धर्म गुरु, पुजारी, मौलवी या पादरी वर्ग नहीं होता है। बहाई अनुयायी जाति, धर्म, भाषा, रंग, वर्ग आदि किसी भी पूर्वाग्रहों को नहीं मानते हैं।

मंदिर में जाने का समय -

गर्मियों में सूचना केंद्र सुबह 9.30 बजे खुलता है, जो शाम को 6.30 पर बंद होता है। जबकि सर्दियों में इसका समय सुबह 10.00 से 05.00 बजे तक होता है। इतना ही नहीं लोग उपासना मंदिर के पुस्तकालय में बैठ कर धर्म की किताबें भी पढ़ते हैं और उनपर शोध भी करने आते हैं।

पता और पहुंचने का स्थान और टिकट फीस — Lotus Temple Rd, Shambhu Dayal Bagh, Bahapur, New Delhi, DL 110019

कमल मंदिर के नजदीक कालका जी मंदिर मैट्रो स्टेशन पड़ता है। इसके साथ ही इस मंदिर में जाने को कोई फीस नहीं लगती है यानि कि यहां आप टिकट फ्री जा सकते हैं।

कमल मंदिर से जुड़ी रोचक बातें –

1.कमल मंदिर को करीब 700 इंजिनियर, तकनीशियन (Technician), कामगार और कलाकारों ने मिलकर बनाया.

2.इसको मार्च 2003 में जिज्ञासुओं के लिए खोला गया।

3.सूचना केंद्र में मुख्य सभागार है, जिसमें करीब 400 लोग एक साथ बैठ सकते हैं। इसके अतिरिक्त दो छोटे सभागार भी हैं, जिसमें करीब 70 सीटें है।

4.इस मंदिर के साथ विश्वभर में कुल सात बहाई मंदिर है। जल्द ही आठवाँ मंदिर भी बनने वाला है।

5. यह मंदिर चारों तरफ़ से तालाबों और सुंदर बगीचों से घिरा हुआ है मानो ऐसा प्रतीत होता है के जैसे कमल पानी में तैर रहा हो।

6. कमल मंदिर में लगभग 9 दरवाजे हैं।

7. कमल मंदिर में लगा हुआ मार्बल ग्रीस से मंगवाया गया थो जो अपनी खूबसूरत और बेहतरीन क्वालिटी के लिए जाना जाता है।

8. 2001 की CNN रिपोर्ट के अनुसार यहाँ दुनिया में सबसे ज्यादा लोग इसे देखने आते है. मतलब इसके नाम पर यह रिकॉर्ड है की दुनिया में सबसे ज्यादा पर्यटक इसे देखने आये है.

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