खुली आंखों में पलते सपनेये खुली आंखों में पलते सपने और दिमाग में ठहरा एक इंसेंटिव होता जो व्यक्ति को सफलता के आकाश में उड़ने के पंख ही नहीं देता है,बल्कि उसे फर्श…Dec 17, 2023Dec 17, 2023
काल तुझसे होड़ है मेरी (भाग दो)हम सब कुछ सरकार पर डालने वाले समाज हैं जो कि एक बड़ी विडंबना है और विकास में बाधक भी। हम उनसे आस व अपेक्षा कर रहे हैं जो कि एफिशिएंट व…Oct 16, 2023Oct 16, 2023