दहशत की भेट मानवता
--_---_------------_----------_-=-= रोज की तरह सुबह आंख खुली, मैं उठते ही मुँह ही रही थी कि तभी आवाज सुनाई दी,चाची जी की ,....लतिका लतिका ...मुंह धोते हुए ,मैंने सोचा इतनी सुबह सुबह तो चाची जी उठती नहीं है । फिर क्यों आवाज दे रही है...क्या हुआ होगा।…