Swadesh Bharatiजन-चिन्तन — जीवन की सच्चाईमैंने देखा बागान में पत्रविहीन टहनियों में हरी कोंपलें मुस्करा रही हैं, किन्ही-किन्ही पेड़ों पर छोटे-छोटे हरे पत्ते हवा में नाच रहे हैं।…Jan 12, 2018Jan 12, 2018
Swadesh Bharatiराजनीति के छन्दराजनीति के छन्द राजनीति अपनी घोर अनैतिकता, आत्म-लिप्सा और निजता की अहंवादी मानसिकता से नयी पीढ़ी को गुमराह कर प्रभावित कर रही हैं इसके कारण…Jan 3, 2018Jan 3, 2018
Swadesh Bharatiयह जीवन-प्रदीपयह जीवन अनन्त से अनन्त काल तक नव युग के नए नए छन्द-गान के साथ चलता रहेगा और आशा-आकांक्षा का प्रदीप हृदय-पटल पर हमेशा जलता रहेगा प्रत्येक…Jan 3, 2018Jan 3, 2018
Swadesh Bharatiमैं अकेला ही चलूंगाभले ही भीड़ लगाकर लोग देखते रहे समय-सागर-तट पर खड़े होकर मैं अकेला ही चलता रहूंगा अगाध समुद्र की उत्ताल लहरों में डोलती नाव हिचकोले लेती रही…Jan 3, 20181Jan 3, 20181
Swadesh Bharatiअनन्ततः 1यही अन्त नहीं है अन्त कहीं नहीं है जो अन्त है वही प्रारम्भ भी है -स्वदेश भारतीDec 21, 2017Dec 21, 2017
Swadesh Bharatiअनन्ततः 2ईश्वर ने यह कैसा मन बना दिया उसमें चिड़िया का पंख लगा दिया और बांध दिया प्रेम का सुनहरा धागा जो जीवन पर्यन्त टूटता जुड़ता ही रहता है न घिसता…Dec 21, 2017Dec 21, 2017