Vineeta Tewariinmy tukbandiअंतिम विदाईअश्रुपूर्ण नैनो से देती मां मैं तुझे विदाई तेरे बिन इस रिक्त जगह की ना होगी भरपाई, रस्मों में बंध तूने मुझको दूर देश है ब्याहा पास नहीं…Sep 17, 2020Sep 17, 2020
Vineeta Tewariinmy tukbandiकविता क्या हैभावों और शब्दों का मिलन शब्दों का सुंदर संकलन पाठक द्वारा हृदय से अनुमोदन आलोचक का न्यायिक आकलन कवि का सात्विक का आचरण |Sep 17, 2020Sep 17, 2020
Vineeta Tewariinmy tukbandiमेरी तुकबंदीशब्द भाव की नहीं है मंदी मुक्तक दोहे में है सन्धि, सिर पर रख हिंदी की बिंदी प्रस्तुत है मेरी तुकबंदी |Sep 17, 20201Sep 17, 20201
Vineeta Tewariinmy tukbandiजिंदगीकभी तो मुझसे बात करोगी कभी तो मेरे साथ चलोगी, सुख सुविधा का लगा है मेला फिर भी हूं मैं निपट अकेला, किस से मन की बात कहूं मैं तुम बिन किससे…Aug 12, 2020Aug 12, 2020
Vineeta Tewariinmy tukbandiसौन्दर्यशैल के शोभित शिखर से उतरी संध्या सुंदरी सी, नील नभ पर फैलती है तारों की एक फुलझड़ी सी, शुभ्र ज्योति से सुसज्जित चांदनी है मोहिनी सी…Aug 12, 20201Aug 12, 20201
Vineeta Tewariinmy tukbandiखुद को पाया हैदंश शूल का बड़ा सघन था घायल पूरा अंतर्मन था, पीड़ित तन अवशोषित मन पर भारी नश्तर चुभा हुआ था, कही-अनकही बातें लेकर भूली बिसरी यादें लेकर…Aug 12, 2020Aug 12, 2020
Vineeta Tewariinmy tukbandiधरतीपुत्र की पीड़ादेख सुनहरी अपनी फसलें मन किसान का पुलक उठा है, उसके अथक परिश्रम का अब विधना ने प्रतिदान दिया है, इसे बेच कर इसी वर्ष मै अब वह कर्ज…Aug 12, 2020Aug 12, 2020
Vineeta Tewariinmy tukbandiतुकबंदीतुकबंदी में शान बहुत है कवि छोटा है ज्ञान बहुत है चाहे जैसा जो लिखवा लो शोहरत और सम्मान बहुत हैJul 28, 2020Jul 28, 2020
Vineeta Tewariinmy tukbandiस्त्री मन की अभिलाषासोच-समझकर बहुत जिया है जतन यतनभी खूब किया है, इस उजलीचादर पर मैंने एक दाग़भी भी नहीं दिया है, घर संसार संभाला है प्रतिपल प्रतिक्षण पाला…Jul 28, 2020Jul 28, 2020
Vineeta Tewariinmy tukbandiप्रकृतिप्रकृति तू रहती क्यों मौन तेरी धरती तेरा व्योम प्रकृति तू रहती क्यों मौन तेरा पर्वत तेरी घाटी सूरज पानी तेरी थाती तेरा ही है सुंदर सोम…Jul 28, 2020Jul 28, 2020