Yashwant Pअतीत के निर्णयअतीत के निर्णयों पर आता है क्रोध मुझे भूल थी कि भय था या थी वासना में लिप्त एक लाचारी कुतरने लगे हैं घाव बन कर सब बढ़ कर मिटाने लगे हैं…Jul 31Jul 31
Yashwant Pबस स्टॉप और कंडक्टरबात उस समय की है जब मैं बैंगलोर शहर में नया नया नौकरी लगा था | एम बी ए की पढाई पूरी कर मेरी एक कंपनी में नौकरी लगी जहाँ मेरा काम शाम चार…May 29May 29
Yashwant Pवर्तमान सदैव ध्येय है !आज की पीढ़ी तरह तरह के मनोरोगों से त्रस्त है | मनोचिकित्सक हमें दिन में दस मिनट के लिए ही सही ध्यान (मैडिटेशन) करने की सलाह देते हैं | आज…May 23May 23
Yashwant Pक्यूँ कोई मूल वजह पर बात नहीं करता…कई दिनों से मेरे मन में ये सवाल खटक रहा था कि आखिर इन्सान आत्महत्या क्यूँ करता है | अखबार खोल कर देखो तो आज का नौजवान बस चिंताओं से घिरा है…May 21May 21
Yashwant Pमौत के आखिरी क्षणों में…..मौत के आखिरी कुछ क्षणों में मृतक इंसान को कैसा अनुभव होता है क्या अनुभव होता ही इसके बारे में कोई नहीं जानता | वो आखिरी पल जब मौत किसी भी…May 21May 21
Yashwant Pतू बाएँ हाथ का है ?मैं शायद पांच बरस का हुआ रहूँगा जब मुझे पहली बार ज्ञात हुआ कि मैं बाकि लोगों से थोडा अलग हूँ | ये भिन्नता मेरे कम बोलने से नहीं थी क्यूंकि…Apr 26Apr 26