मंज़िल तो मेहमान है!

Sanchaniya Namrata
Aarash
Published in
1 min readSep 4, 2018
Unsplash

मुसाफिर तू महान है,

जीने का जज़्बा है, हौंसलो की उड़ान है,

मंज़िल मिलेगी या नही,

रास्ते अनजान है,फिर भी एक आश है,

क्योंकि, मंज़िल तो मेहमान है,

सफर ही सच्चा यार है।।

सफर की उलझनों को…

सुलजाता हुआ तू,

तुजे ना खो जाने का डर है,

न हारने का खौफ,

ना ही किसीकी परवाह,

न ही उलझने का शौख।।

तू ना थक सकता है,

ना ही हिम्मत हार सकता है,

क्योंकि तेरा बस एक ही उद्देश्य है,

बस, चलते ही रहना है,

बस,चलते ही जाना है….

क्योंकि मंज़िल तो मेहमान है,

सफर ही सच्चा यार है।।

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