आज़ाद है तू
तेरी तक़दीर पे
किसीका पेहरा न मान
अपने मुक़द्दर को
किसीका एहसान न मान
सारी ज़मीन तेरी
सारा आसमान भी तेरा
किसीके उफ़ुक़ के दायरे
को तू अपना जहान न मान
तू अपना हौसला खुद बन
तू अपने फैसले खुद चुन
अपनी राह खुद बना
अपनी मंज़िल खुद ढूंढ
रिश्ते इरादों के बीच गर आये
उन खोकली देहलीज़ो को न मान
आँधियो में तूफ़ान बन
तुफानो में साहिल बन
कभी ढाल बन और
कभी तलवार बन
देवी कहेंगे तुझे
फूलो पे बिठायेंगे
दस हाथ देकर
पूजा का स्वांग भी करेंगे
साल के एक दिन
एक कविता और
एक लेख भी लिखेंगे
बस तू इस
कैद से बहार निकल
तुझे पढ़ना है पढ़
तुझे रुकना है रुक
तुझे बढ़ना है बढ़
तुझे देखना है देख
तुझे खेलना है खेल
हसना है हस
रोना है रो
रिश्तो को निभा
मर्यादा को छोड
सवालो को चीर
जवाबो को तोड़
नदियों में तैर
पहाड़ो को फांद
तेरी मर्ज़ी
आज़ाद है तू
आज़ाद