हमारे बुज़ुर्ग

Ankur Pandey
anantim
Published in
Feb 26, 2024

[अगस्त 2017]

हमारे बुज़ुर्ग गुज़रते हैं तो किताब बन जाते हैं
किसी कोर्स की किताब नहीं!
पैसा कमाने की, भौतिकी की, चटपटे किस्सों की-
इनकी भी नहीं!

किताब के कई पन्ने पीले हैं, फटे हैं
नैरेटिव इधर फीका है, वर्तनी उधर गलत है
बल्कि क्लाइमेक्स तो उफ़! इतना बोरिंग.

पुरानी किताब गुज़रती हैं तो चैप्टर्स बिखर जाते हैं
जिल्द चढ़े- संशोधित- थ्रिल से लबरेज़ चैप्टर्स
किताब बनने की कवायद में-
पैसा कमाने की, भौतिकी की, चटपटे किस्सों की!

ख़ैर, किताब को तहखाने में मत रखना,
या संदूक, या ऊँची किसी अलमारी में भी नहीं
पास में पड़ा रहने देना, और ज़रा उलट-पलट लेना-
कभी शाम की चाय पर, या फ़्लाइट की क़तार में,
या जब कभी थक जाओ पढ़ते और किताबों को-
पैसा कमाने की, भौतिकी की, चटपटे किस्सों की!

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