ऐसे मिलो
[अक्टूबर 2023]
तुम मुझे सपनों में मिलो
ज़मीन बहुत ऊबड़ — खाबड़ है
ढर्रा ढर्रा जीवन है. घड़ी की हथकड़ी है.
ऐसे सपने में मिलो जहाँ ज़मीन न हो, ढर्रा न हो..
..घड़ी भी नहीं
तुम कागज़ पर मिलो
मैं तुम्हें लिख सकूँगा अपने हिसाब से
केवल नीली स्याही से — लाल मुझे पसंद नहीं
(या फ़िर लाल से लिखना-पढ़ना मुझे आता नहीं)
तुम मुझे चुम्बन में मिलो,
आलिंगन में, करवट में, फैंटसी में और नींद में
(संभोग तुम्हे शायद ऑब्जेक्टिफ़ाई करेगा)
तुम रास्ते में मिलो, आते हुए मिलो, जाते हुए मिलो
ठहरते हुए मिलो, पर रहते हुए नहीं — मुझसे रहा नहीं जाता!
(फ़िर तो मैं चाहूंगा उड़ते हुए भी — कभी कभी)
तुम फ़िल्म देखने में मिलो — इंटरवल तक ही सही
तुम किताब पढ़ते हुए मिलो — बीच के दो चैप्टर्स ही सही
गाना गुनगुनाते हुए मिलो, खाना चखते-चखाते हुए मिलो
पैर जब थक जाएं तो उनको दबाते हुए मिलो
तुम मुझे कुछ न दो, मेरा कुछ न लो
बस, मिलो तो सही