दि आज़ादी सॉन्ग

Ankur Pandey
anantim
Published in
1 min readFeb 28, 2024

[दिसंबर 2019]

आज़ादी, आज़ादी,
आज़ादी बोलो आज़ादी
हमें चाहिए आज़ादी — क़ुरान से भी, पुराण से भी!
हमें चाहिए आज़ादी — भगवे से भी, फ़तवे से भी!

आज़ादी पाखंडों से,
कठमुल्लों से, पंडों से,
गुरुओं से, घंटालों से,
धर्म जात के दलालों से,
महंत से भी, पादरी से भी,
जन्मभूमि-बाबरी से भी.

औरत पर होते प्रकोप से,
अभिव्यक्ति पर रोक से,
प्रेम पर पाबंदी से,
क्या अच्छी? क्या गंदी? — से,
आज़ादी उल्लंघन की,
परंपरा के खंडन की.

आज़ादी पूँजी व्यवस्था से,
लाल-फीता-सत्ता से,
अम्बानी से, अडानी से,
तुग़लकिया मनमानी से,
घर में घुसे बाज़ार से,
डायमंड रिंग्स, स्पोर्ट्स कार से.

प्रकृति पर ढहते कहरों से,
हवा में घुलते ज़हरों से,
ध्रुवों पर टूटते हिमनद से,
नदियों को बांधती सरहद से,
खाने में मिलते प्लास्टिक से,
सागर जल होते कॉस्टिक से.

आज़ादी अंधी दौड़ से,
हर मोड़ पर जोड़-तोड़ से,
कर्म से नहीं, कैरियर से,
नई सोचों पर बैरियर से,
नई सीढ़ियां चढ़ने की,
और नए ककहरे पढ़ने की.

आज़ादी कुछ थमने की,
गिरने की, गिर कर उठने की,
टूटा जो उसे बनाने की,
बिखरा जो उसे सजाने की,
रोया जो उसे हंसाने की,
सोया जो उसे जगाने की.

तो आज़ादी ये आज़ादी,
आज़ादी बोलो आज़ादी!

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