कलाकार की कोई श्रेणी नहीं होती है, कलाकार अपने आप में पूर्ण होता है — रेडियो जॉकी अनिमेष, साहित्य विशेषज्ञ (अर्ज़ किआ है रायपुर)
“अर्ज़ किआ है” के इवेंट “आलम-ए-रायपुर” के विशेष अध्याय में नये लेखकों के लिये विशेषज्ञों के साथ एक बातचीत का अध्याय जिसमें नए लेखक हिंदी साहित्य के बारे में अपनी सारी शंकाये दूर कर सकें और अपने स्वच्छंद लेखन के साथ हिंदी साहित्य में अपना स्थान बना सकें। इस पर ध्यान देते हुए साहित्य विशेषज्ञों के साथ परस्पर संवाद का एक सत्र आयोजित भी किया गया।
जिसमें सर्वप्रथम RJ अनिमेष से एक ऐसे मुद्दे पर चर्चा की गई जो आज के दौर में बहुत महत्वपूर्ण है, कि “लेखक क्यों मर जाते है”। इस विषय पर अनिमेष दादा के विचार बहुत महत्व रखते हैं क्योंकि उन्होंने बहुत से ऐसे पहलुओं को हमारे सामने रखा जो लेखन के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए आवश्यक हैं।
अनिमेष जी से पहला सवाल यह था, कि क्या लेखक के अस्तित्व को खत्म करने में नकारात्मक टिप्पणियाँ भी भूमिका निभाती हैं?
अनिमेष जी ने आलोचना के डर से लेखक के अस्तित्व खत्म होने की बात को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि,
“एक लेखक ने अगर आलोचनाओं के डर से अपनी कलम छोड़ दी तो आप समझ लीजिये उसने खुद अपनी आत्मा अपने शरीर से निकाल दी”
एक असली कलाकार और लेखक वही होता जो अपनी आलोचनाओं से निराश न हो और यह कभी नहीं सोचे किलोग क्या कहेंगे।
इंसान जब मर जाता है तब कुछ नहीं सोचता और इंसान जब कुछ नहीं सोचता तो वह मर जाता है।
दूसरा प्रश्न यह था कि लेखकों और कलाकारों को मंच नहीं मिलता क्या यह भी वजह हो सकती है किसी लेखक के मरने की?
अनिमेष दादा ने कहा कि “आज का युग, आधुनिक युग है अतः मंच के न मिलने की कोई बात ही नहीं है “YouTube, Instagram, Facebook, twitter etc” ऐसे मंच है जहाँ एक कलाकार खुद को प्रस्तुत कर सकता है। तो मंच न मिलना आज एक लेखक के खत्म होने की वजह नहीं हो सकता।
तीसरा प्रश्न यह था कि क्या अपनी लेखन क्षमता के प्रदर्शन की, अपनी कला को लोगों को के साथ साझा करने की, एक निश्चित उम्र होती है?
इस प्रश्न पर अनिमेष जी ने कहा कि “कला उम्र की मोह-ताज नहीं होती है, आप किसी भी उम्र में अपनी कला को प्रस्तुत कर सकते हैं, बस आपके विचार और विषय वस्तु मज़बूत होने चाहिए, प्रभावी होने चाहिये, फिर आपकी प्रतिभा को लोगों तक पहुचने से कोई नहीं रोक सकता।
अनिमेष जी के अनुसार एक लेखक के अस्तित्व खोने के कारण निम्न हो सकते हैं:
1) अगर लेखक ने अपने सुकून के लिए लिखना छोड़ दिया और बस दुनिया की तारीफों के लिए लिखना शुरू किया तो उसका अस्तित्व धीरे धीरे खत्म होते जाएगा।
2) लेखक एक असंतुष्ट प्राणी होता है एक लेखक को हर जगह सिर्फ परेशानी ही दिखती है समाज हो या प्यार, जिस दिन लेखक संतुष्ट हो गया तो उसकी रचनाओं में वो जीवंत प्रमाण नही मिलेगा।
3)एक लेखक को हमेशा यह ज्ञात होने चाहिए कि वो लेखक क्यों है, वो क्यों लिख रहा है और किसलिए लिख रहा है।
4) साहित्यकार ही इस समाज का ऐसा हिस्सा है जो समाज की परेशानी का समाधान अपनी कलम से करके मुस्कुराहट ढूंढ़ लाते है। अतः उसे अपनी कलम नही छोड़नी चाहिये।
5) लेखक को अपनी कलम चलानी नही छोड़नी चाहिए रोज़ थोड़ा थोड़ा ज़रूर लिखना चाहिए। ताकि वो कभी साहित्य से दूर न हो।
नील आर्मस्ट्रांग से पहले साहित्यकार चंद्रमा तक पहुंचकर उसका विश्लेषण कर आ गए
~ रेडियो जॉकी, अनिमेष
6) लेखक ने अगर पढ़ना बंद कर दिया तो उसकी लेखन क्षमता क्षीण होते जाएगी।
7) खुद की तुलना कभी किसी दूसरे लेखक के साथ नहीं करनी चाहिए वरना आप खुद के अंदर के लेखक से दूर होते जाते है।
8) लेखक को अपने मानो भाव कभी नहीं बदलने चाहिए।
9) अपनी लेखन शैली को किसी दायरे में बांधकर नहीं रखना है।
10) प्रतिस्पर्धा मत करो कि आप उससे बेहतर लिख सकते हो बस आप जैसे हो वैसे रहो वरना आपके अंदर के लेखक का दम जल्द ही घुट जाएगा।
Written by: Prachi Sahu