Discovery of an Author : Interview with Nalin Om Bhatt(Hindi)

Raghav Sharma
Blessink mag
Published in
8 min readJul 15, 2024

We interviewed Nalin on his first Hindi language poetry book, Street Light, his journey so far and his future projects.

The editorial team at Blessink Mag is dedicated to promoting both new and established authors, helping them reach a wider readership and audience.

Recently, our team connected with author Nalin Om Bhatt, who published his first poetry book in Hindi language ‘Street Light’ published via Rajmangal prakashan.

This interview delves into his journey as an author, his spiritual side, provides insights into his book, explores his writing process, and addresses many intriguing questions that will benefit first-time writers and captivate his readers and beyond.

Let’s take a look at what he had to say:
NOTE : This interview is in Hindi language.

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लेखन की प्रेरणा:

प्रश्न:स्ट्रीट लाइट” लिखने की प्रेरणा आपको कहाँ से मिली? क्या कोई विशेष घटना या अनुभव था जिसने आपको इस पुस्तक को लिखने के लिए प्रेरित किया?

उत्तर:“स्ट्रीट लाइट” को लिखने की प्राथमिक प्रेरणा थी सौंदर्य को अपनी रचनाओं में खोजना — कुछ ऐसा रचना जो अनूठा होने के साथ-साथ ही मेरी आत्मा की वास्तविकता को पृष्ठों पर उतार सके, जो मेरी दबी भावनाओं को एक रूप दे सके; कुछ ऐसा जिसका जन्म व उत्पत्ति मात्र ही मेरे हर्ष और संतुष्टि का स्रोत हो — एक संतान के जन्मने जैसा हो। यदि कोई विशेष अनुभव था जिसने मुझे इसे लिखने के लिए प्रेरित किया, वह उन सब महान लेखकों की उत्कृष्ट कृतियों को पढ़ना ही था जिनके द्वारा मैंने सोच के नए आयाम और सौंदर्य के महत्व को जानना आरंभ किया।

विषयों का संगम:

प्रश्न: इस पुस्तक की कविताओं में प्रेम, पीड़ा, नैतिकता, मानवता और भक्ति जैसे विविध विषयों को एक साथ लाने की प्रक्रिया कैसी रही?

उत्तर: बेहद संतोषजनक! क्योंकि वह सब एक स्थान पर लिख कर एकत्र कर सका जो एक युवक नलिन के लिए महत्व रखती हैं, और उस रूप में कर सका जो पाठक के हृदय-मन में भी स्पंदन करने का सामर्थ्य रखती हैं; कुछ ऐसा रच सका जो सबसे पहले स्वयं मेरी दृष्टि से सुन्दर है, और जिसको लिखने के बाद अब स्वयं की पीठ थपथपा सकता हूँ। सबसे महत्वपूर्ण यह है कि जो भी इसको लिखने के अंतराल में सीखा हूँ, अनुभव किया हूँ उसी को अपनी निधि मानकर आज मैं स्वयं को बड़ा धनी पाता हूँ।

कविता यात्रा की शुरुआत:

प्रश्न: कवि के रूप में आपकी यात्रा कब और कैसे शुरू हुई? क्या आपको किसी विशेष लेखक या कवि से प्रेरणा मिली है?

उत्तर: मुझे याद है कि सन् 2006 के बचपन में मैंने यूँ ही एक नौसिखिया, नासमझ सा काव्य छंद लिखा था। कुछ ऐसा वो शुरू होता था — ‘एक दोगे, दस मिलेगा, दस दोगे, सौ मिलेगा।’ कहने का तात्पर्य यह था कि जो भी हम निस्वार्थ भाव से देते हैं, वह किसी न किसी रूप में हमारे पास गुणा होकर अवश्य लौटकर आता है। फिर शायद सन् 2015 तक मैंने कुछ नहीं लिखा होगा क्योंकि उस अंतराल में मैं अपने जीवन का उद्देश्य भौतिक विज्ञानं की शिक्षा ग्रहण कर वैज्ञानिक बनना ही मानता था। यद्यपि, साहित्य को भी मैं उतने ही चाव से पढता रहा।

उसी दरमियान एक पुस्तक पढ़ी थी जिसका नाम है “एस. चन्द्रशेखर: मैन ऑफ साइंस।” एक वैज्ञानिक रहे हैं, नोबेल पुरुस्कृत श्री सुब्रमण्यन चंद्रशेखर जिनकी उस पुस्तक के माध्यम से मैंने उनके व्यक्तित्व को जाना, और जीवन व भाषा में सौंदर्य के महत्व को और अधिक समझा। वही बोध आज मेरी साहित्यिक यात्रा को परिभाषित करता है।

मैंने सन् 2015 में भी थोड़ा-बहुत लिखने का प्रयास किया था, मगर उसी कालावधि में मेरी शारीरिक व मानसिक पीड़ा का भयानक दौर भी आरंभ हुआ। मुझे पता चला कि मुझे बाइपोलर डिसऑर्डर नामक मनोरोग है। इसी के चलते वैज्ञानिक बनने का सपना पूर्णतः ढहता चला गया। अपनी परिस्थिति से जूझते-उलझते मैंने अपना वास्तविक काव्यात्मक/साहित्यिक प्रयास सन् 2018 में आरंभ किया, क्योंकि मैं बचपन से ही कुछ बौद्धिक, कुछ रचनात्मक करना चाहता रहा हूँ, और साहित्य भी विज्ञानं की भाँति ही मेरी रूचि का विशेष विषय रहा है।

अगर किसी लेखक ने मेरे हृदय को सबसे अधिक स्पर्श किया है तो वे हैं मालगुड़ी डेज़ के बहुप्रसिद्द उपन्यासकार श्री आर.के. नारायण। उनके उपन्यास सरल व मार्मिक लगते हैं। इसके अतिरिक्त निर्मल वर्मा, विनोद कुमार शुक्ल, धर्मवीर भारती जैसे हिंदी लेखकों को पढ़कर भी ‘अहा!’ मुख से अभिव्यक्त हो जाता है। कवियों में मुझे रूमी की कविताओं के अनुवाद पढ़ना अत्यंत भाया। इसके अतिरिक्त मैंने अनेकों कवियों को पढ़ा और उनकी शैली को समझा जैसे कि मैरी ओलिवर, फर्नांडो पेसोआ, अरुंधति सुब्रमण्यम, अमृता प्रीतम, विनोद कुमार शुक्ल, रबीन्द्रनाथ टैगोर, हरिवंश राय बच्चन, आदि।

पूर्णकालिक लेखक का निर्णय:

प्रश्न: क्या आप पूर्णकालिक लेखक हैं? अगर हाँ, तो इस निर्णय का आपके जीवन पर क्या प्रभाव पड़ा है?

उत्तर: जी हाँ, वर्तमान में मैं कॉर्पोरेट क्षेत्र में बतौर पूर्णकालिक लेखक कार्यरत हूँ। यद्यपि, यह मेरी औपचारिक शिक्षा से थोड़ा भिन्न का कार्य है। यह निर्णय स्वयं से यह पूछकर लिया गया है कि वर्तमान में और वास्तविकता में मुझे जीवन से क्या चाहिए। बतौर लेखक, भाषा के माहौल में रहना और ऐसा कार्य करना जिसमें मेरा मन लगे, जिसमें मैं अपनी आत्मा की बोली न लगाऊँ, और अपने मानसिक स्वास्थ्य का भी ध्यान रख सकूँ यह मेरे निर्णय और उसके प्रभाव को स्पष्ट करते हैं।

लेखन प्रक्रिया:

प्रश्न: क्या आप अपनी लेखन प्रक्रिया के बारे में कुछ बता सकते हैं? विशेष रूप से, आपका दैनिक लेखन रूटीन क्या है?

उत्तर: मैं अपने फोन के नोटपैड में बीच-बीच में कुछ न कुछ नोट करता रहता हूँ। फिर ये नोट्स मेरे कंप्यूटर में स्थानांतरित हो जाते हैं जो बाद में मेरा साहित्य बन जाता है। जब कोई विचार मेरे दिमाग में पर्याप्त रूप से स्थापित हो जाता है, तो मैं उसे लिखने और उसे एक रूप देने का कार्य आरंभ करता हूँ।

मैंने इस पुस्तक का पहला ड्राफ्ट ऑफिस कार्य समय के बीच, यात्रा के दौरान, ऑफिस के बाद रात्रि में, सुबह और सप्ताहांत में फोन के नोटपैड में लिखा था। एक निरंतरता थी। जब भी प्रेरणा आती थी, कहीं भी, किसी भी समय लिखने लगता था। मैं अपने किसी भी लेखन कार्य का बारीकी से संशोधन करता रहता हूँ, जब तक वह एक उत्तम रूप धारण न कर ले।इसके अतिरिक्त, बतौर एक पूर्णकालिक लेखक, भाषा और रचनात्मकता से लगातार जुड़ा रहता हूँ।

आध्यात्मिक साधना और लेखन:

प्रश्न: आपकी आध्यात्मिक साधना का आपके लेखन पर क्या प्रभाव पड़ता है? क्या आपके ध्यान और साधना की प्रक्रिया आपकी कविताओं को प्रेरित करती है?

उत्तर: मेरा आध्यात्मिक व दार्शनिक जगत का अन्वेषण मेरे लेखन में भलीभाँति प्रतिबिंबित होता है और होता रहेगा। मैं अपनी साहित्यिक यात्रा को अपनी आध्यात्मिक साधना का अभिन्न अंग मानता हूँ — वह मेरी साहित्य साधना है। साहित्य मेरे लिए अब किसी प्रकार की भौतिक पूर्ति से बढ़कर मेरी आत्मिक संतुष्टि का माध्यम है।

कुछ ऐसा लिखते जाना चाहता हूँ जिससे मन-मस्तिष्क, व हृदय के तंतुओं में सौंदर्य और आनंद के फव्वारे फूटते रहें। उसे लोग पढ़ेंगे या नहीं, बेस्टसेलर होगी कि नहीं, आदि विषयों में मैं एक सीमित मात्रा से अधिक नहीं सोचना चाहता। मैं उत्कृष्टता का पारखी व उपासक हूँ जो स्वयं की रचनाओं में उन्हें सबसे अधिक खोजता है। आध्यात्मिकता से जुड़कर मैं यह अवश्य जाना हूँ कि यदि मैं प्रभावपूर्ण लेखन करना चाहता हूँ, तो उसका सबसे उपयुक्त स्रोत अंतर्मुखी होने, मौन होने जैसी आधात्मिक प्रक्रियाएँ होंगी।

पाठक की भावनाएँ और प्रतिक्रिया:

प्रश्न: आप चाहते हैं कि आपकी पुस्तक पढ़ने के बाद पाठक कैसा महसूस करें? और अब तक पाठकों की प्रतिक्रिया कैसी रही है?

उत्तर: कविता लिखना या पढ़ना, जीवन को महसूस करना होता है। मैं चाहूँगा यह पुस्तक पढ़ने के बाद पाठक के हृदय में अवश्य कुछ सकारात्मक प्रस्फुटन हो। वे इसके मर्म तक पहुँचकर एकाकी स्वयं और आकर्षण के संसार में बेहतर सामंजस्य खोज सकें।

मेरी रचनाएँ पढ़ने के बाद पाठकों की प्रतिक्रिया काफी सकारात्मक व प्रेरणाजनक रही। यद्यपि मैं बाहरी मान्यकरण के लिए ज़्यादा आतुर नहीं रहता हूँ, मगर हाँ, लेखन क्षेत्र में कार्य करने की प्रेरणा और अधिक मिलती है जब कोई मेरी रचना की प्रशंसा करता है, या मेरा लिखा कुछ प्रकाशित होता है। जैसे एक बार किसी ने मेरी कविता पढ़ने के बाद यह कहा था कि वह उसे बार-बार पढ़ने हेतु अपने पास सहेज कर रखेंगे। यह जान, मुझे बहुत अच्छा लगा था।

पुस्तक प्रकाशन की यात्रा:

प्रश्न: आपकी पुस्तक प्रकाशन यात्रा कैसी रही? पहली बार प्रकाशित लेखक के रूप में आपने क्या सीखा?

उत्तर: मेरी पुस्तक प्रकाशन की यात्रा अनेक सीखों से परिपूर्ण व संतोषजनक रही। मैंने बहुत कुछ सीखा, जो लेखन से विलग होते हुए भी उसके लिए अनिवार्य है। एक अच्छे प्रकाशक की खोज करने से लेकर पाण्डुलिपि में बारीकी से संशोधन करना, कवर पर काम करना, मार्केटिंग के बारे में जानना, व प्रकाशन उद्योग की गहराईयों को और अधिक समझना, यह सब मैंने सीखा व जाना। मैं अपनी आगामी पुस्तकें के प्रकाशन के लिए बेहतर रूप से तैयार हुआ हूँ।

नई लेखकों के लिए सलाह:

प्रश्न: नए और उभरते हुए लेखकों के लिए आप क्या सलाह देना चाहेंगे? विशेष रूप से उन लोगों के लिए जो कविता लिखने की शुरुआत कर रहे हैं।

उत्तर: लेखन के लिए अतयन्त महत्वपूर्ण है अध्ययन। जितना हो सके पढ़ें। जितना पढ़ेंगे, विवेचन करेंगे, चिंतन करेंगे साहित्य के उतने आयाम आपके लिए खुलेंगे। बिना पढ़े लेखन नहीं होता, यह मेरा व्यग्तिगत अनुभव रहा। लिखने से डरें नहीं। विफल होने से डरे नहीं। ‘करत करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान’ अर्थात् निरंतर अभ्यास करने से अकुशल व्यक्ति भी कुशल बन सकता है। अच्छे कवि बनने के लिए अच्छे कवियों को पढ़ें, लिखते रहें, और अपने लेखन का अनूठा ढंग ईजाद करें।

भविष्य की योजनाएँ:

प्रश्न: भविष्य में आप किन परियोजनाओं पर काम कर रहे हैं? क्या आपके पास किसी नई पुस्तक या कविता संग्रह की योजना है?

उत्तर: इस पुस्तक के प्रकाशित हो जाने के बाद अब मैं अपने लघु कथाओं के संकलन पर एकचित्त होकर कार्य आरंभ करूँगा। मेरे गद्य के नोट्स, ड्राफ्ट, आदि को उपयोग करने का यह उचित समय है।

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It was a treat and truly delightful to interview Nalin. He is an amazing writer, individual, and an inspiration for all those want to become an author. Nalin’s work is varied and he has a lot to offer to the world of writing and publishing. It will be exciting to follow his writing journey and career.

We urge all to check out his book : Street Light
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Contact Nalin Om Bhatt:

Instagram : https://www.instagram.com/thehappiestman_alive55/
LinkedIn : https://www.linkedin.com/in/nalin-bhatt-24ab59170/

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Raghav Sharma
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