Aasman Ka Tukda

Team Pentastic
CET Rising
Published in
2 min readJun 1, 2017

By Ayan Panda (Batch Of 2013)

एक बार school से लौटते वक़्त मुझे आसमान का टुकड़ा मिला, आम पंपाद की तरह मैंने उसको बास्ते में छुपा लिया…घर लौट कर फिर उसको अपने शीशों के collection में शामिल किया! हर संडे सुबह को धुप निकलती थी जब, अपनी शीशों के डिब्बी को वरण्डः पे फैलता था, और रंगों की नगरी में घूम हो जाता था! लाल, हरा, पीला, काला, सब के घर चाँद लम्हे बीतता था, पर मेरे आसमान के टुकड़े से जी कभी ना भर पाता था…!!

अनगिनत लम्हे ऐसे बीत गए, और लेहेरों के उस पार मेरा बचपन बेह गया..कक्षाएं लांगता रहा, फ़ुरसतें मांगता रहा..लेकिन अब वह sundays को भी ज़ालिम tuitions ने hijack कर लिया था…दूर से बस मेरे आसमान के टुकड़े को देख मुस्कुरा लेता था..आँखें नाम हो जाती थी पर दिखा किसे ना पाता था..!!

अनकहे लाखों जज़्बात ऐसे सिमट गयी जैसे बुलबुले ही थे कोई और खो गए गर्म हवा की लपटों में..लड़कपन की सीढ़ियों पे जब पहला कदम रखा तोह दो पहियों का एक दोस्त मिला मुझे..अब मैं sundays को उसी के साथ ही घूमने चला जाता था..रफ़्तार से ज़िन्दगी के मज़्ज़े नापता था.. आसमान का टुकड़ा तोह जैसे कहीं हो चूका लापता था…

ऐसे ही काफी सारे highways पे उड़ते हुए फिर से ज़मीन पे लौट आया मैं..दोपहर का ख्वाब था जैसे और बर्फीली हवाओं के alarm से टूट गयी वोह!! उम्र के मंज़िलें थोड़ी और चढ़ी तोह सिर्फ इम्तिहानों से गुफ्तगू हुई..अब तोह हर sunday बंद कमरों में problem solve किया करते थे, ना आसमान दिखा ना उसका टुकड़ा कहीं..!!

काफी इम्तिहानों से गुज़र कर आज एक फलक उस इमारत में जगह मिली है..

लोग कहते हैं के तुम ऊंचाई पे हो, पर सब कुछ तोह कितना छोटा दिखता है यहाँ से..

शायद छोटी मैं ज़िन्दगी जी रहा हूँ कोई..

वैसे आज भी sunday है, पर फुर्सत कहाँ!

वही नीली screen के आगे बैठा हूँ, बगल में एक नीली खिड़की है!!

दूर उसी से देख रहा हूँ, कुछ बच्चे cricket का लुफ्त ले रहे हैं..

I hope अगले गेंद पर sixer लगे मेरी इस खिड़की पे..

नुक्सान तोह होगा बहुत शीशा जब यह कीमती टूटेगा, पर फिर भी अपनी दुआ मैं कायम रखता हूँ..क्या पाता उन्ही टूटे टुकड़ों में मुझे मिल जाये अपना खोया हिस्सा कहीं..!!

--

--