परदेस

परदेस में बैठा बेटा है
ग़म जिसके सिरहाने लेटा है
आया घर से फ़ोन, हुई बात नहीं
कहीं काली तो ये रात नहीं
अनहोनी की आशंका है
कहीं कटु तो ये जज़्बात नहीं
काम छोड़ वो रब से बोला
तूने कुछ तो ऐसा वैसे करा नहीं?
फिर आधे घंटे तक वो मौन रहा
जो इश्क़ खोने पर भी डरा नहीं!

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