मौसम

बग़ावतों से वास्ता नहीं है जिन्हें,
मौसमों का इल्म नहीं है उन्हें

हर बारिश इश्किया नहीं होती
कुछ तो हों की बस सड़कें धुलें

कह सकता नहीं, आँखें तुम नहीं पढ़ती
राज आख़िर खुलें तो कैसे खुलें ?

--

--