वो आजकल अपनी बात कहने से डरता है

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ग़लत को ग़लत कहना जिनसे सीखा,
वो अब ग़लत को ग़लत कहने से डरता है।

मुश्किल बातें आजकल कोई नहीं करता,
हर कोई सच को सहने से डरता है।

बहुत कोशिश की मैंने दिल मिलाने की,
ये कैसा परिवार हैं, साथ रहने से डरता है।

सब क़ैद है यहाँ अपने अपने कमरों में,
दिल घर में अपने जाने पहचाने से डरता है।

ऐ खुदा, तू ही बता अब `ऋषि` क्या करे,
वो आजकल अपनी बात कहने से डरता है।

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