भीष्म साहनी (1915–2003)

Prerana Nirmal
Hindi Kavita
Published in
2 min readJul 11, 2017

आधुनिक हिन्दी साहित्य के प्रमुख स्तंभों में से एक भीष्म साहनी जी की आज पुण्यतिथि है।

भीष्म साहनी जी का जन्म 8 अगस्त 1915 को रावलपिंडी पाकिस्तान में हुआ, उन्होंने गवर्नमेंट कॉलेज लाहौर से अंग्रेज़ी में एम.ए किया और विभाजन के बाद भारत आ गए, यहाँ उन्होंने 1958 में पंजाब विश्वविद्यालय से पी.एच.डी की उपाधि प्राप्त की। भीष्म साहनी, भारतीय हिन्दी सिनेमा के महान नायक बलराज साहनी के छोटे भाई हैं। बड़े भाई के रंगमंच तथा इप्टा (इंडियन पीपल थिएटर एसोसिएशन) से जुड़े होने के कारण भीष्म साहनी भी इप्टा से जुड़ गए और कई नाटकों का लेखन तथा निर्देशन किया। इप्टा से जुड़ने के कारण वो जनवादी तथा वामपंथी विचारधारा के अनुयायी हो गए इसलिए उनकी रचनाओं में हमे मानवीय मूल्यों का अभूतपूर्व चित्रण मिलता है।

भीष्म साहनी को प्रेमचंद की परंपरा का अग्रणी लेखक माना जाता है। अपने जीवनकाल में उन्होंने कई अविस्मरणीय रचनायें लिखी। वे प्रमुख रूप से उपन्यास, कहानी तथा नाटक लिखते थे। तमस, झरोखे, बसंती और कुंतो उनके प्रमुख उपन्यास हैं। उनके कहानी संग्रह में से मेरी प्रिय कहानियाँ, भाग्यरेखा और निशाचर प्रमुख हैं। उनके लिखे नाटक हनुश, माधवी, कबीरा खड़ा बाज़ार में और मुआवज़े को अथाह प्रशंसा मिली। चूंकि वे जनवादी आंदोलनों से जुड़े रहे इसलिए उनकी रचनाओं में हमे निम्न तथा सर्वहारा वर्ग के जीवन संघर्षो का चित्रण मिलता है, दुःख, पीड़ा, संघर्ष और अभाव उनकी रचनाओं में स्वतः दिख जातें हैं। तमस में उन्होंने विभाजनकाल के खूनी इतिहास तथा साम्प्रदायिकता के राजनीतिकरण का अविस्मरणीय वर्णन किया है। आज़ादी से पहले हुए साम्प्रदायिक दंगों का इतना मार्मिक चित्रण शायद ही कहीं देखने को मिल पाए। तमस के लिए उन्हें 1975 का साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला, और इसी उपन्यास पर बने तमस धारावाहिक को बहुत सराहना मिली। यह उनकी सबसे प्रसिद्ध रचना मानी जाती है।

साहित्य में अपने योगदान के लिए उन्हें 1998 में पद्म भूषण और 2001 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से भी नवाज़ा गया।

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