Samar Bagchi
IndiaMag
Published in
2 min readNov 29, 2017

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“Kaun kambakht bardaasht karne ke liye peeta hai”

एक चाय थी…

बहुत नटखट थी …
सुबह होते ही खिड़की से झाँकती थी .
रोज़ नींद से जगाती थी…

कभी सड़को पे मिलती थी…
कभी गलियों में
थपकी दे जाती थी…

छुट्टियों में
गप्पें लगाया
करती थी…

मुँह पे कड़वाहट…
और मिजाज़ एकदम गरम…
सर्दियों में महबूब की तरह मिलती थी…

दूर कहीं कुल्हड़ देखता हूँ …

तो रुक जाता हूँ…

वो गेहुँवे रंग की साड़ी में ,

अच्छी दिखती थी…

“कुछ लोगों का कहना है कि मुझे उससे इश्क़ है…

क्योंकि आज भी….

सफ़ेद शर्ट पे उसका निशान लिए घूमता हूँ…”

शायद वो सही हैं

“एक चाय थी…”

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