मुम्बई के बाहर भी एक दुनिया है भाई

Gulal Salil
Lal Poster
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3 min readJul 6, 2017

यह वाक्य मुझे कुछ दिनों पहले कहीं सुनाई पड़ा। उस वक़्त तो मैंने इस बात की मन ही मन चुस्की ले ली की बम्बई में रहते रहते आदमी ऐसा हो ही जाता होगा। सोचते सोचते मैंने इसे मेट्रो culture से भी जोड़ लिया, और बम्बई को बिठा दिया ignorant America के बगल में। लेकिन मुझे इस व्याख्या का मर्म तब समझ में आया जब मैं जम्मूतवी एक्सप्रेस के जनरल कम्पार्टमेंट में, कुल दो घंटे के सफर के लिए इटारसी जंक्शन से चढ़ा।

मुम्बई के बाहर एक दुनिया है, और मुम्बई के लगभग सारे लोग उसके भीतर, इस बाहर की दुनिया से ही आते हैं। जो मुंबईकर नहीं हैं, वे भी मुम्बई के होना चाहते हैं, वहाँ कि आबो हवा पर गौर करते हैं, वहाँ कि कठिनाइयों का उदाहरण बनाते हुए नज़र आते हैं, और उसकी मिसाल देते हैं। मुंबईकर बम्बई के समंदर में अपनी थकान का भार घोलते हैं हर शाम, और वहीं दूसरी ओर, बाहरी दुनिया के लोग इस समंदर और उसके बीच बसे शहर को tourist destination का दर्जा देकर, Instagram पर तस्वीर डालते हैं हर रोज़। मैं भी। #Mumbaimerijaan, #BombayNagariya, बादल दिख गए तो #CloudPorn, and so on - आप समझ ही गये होंगे।

ऐसे ही हैशटैग की एक प्रतीक है मुम्बई लोकल, जो चर्चगेट से चलती है और लोगों के मन में उतर जाती है। विरार, दादर और भायंदर तो सिर्फ बहाने हैं, इस खूबसूरत संघर्ष की पटरी का सिर्फ नाम भर लेने के लिए। भारतीय संस्कृति की कुछ अजीब सी नैतिक संरचना है जिसमें हम struggle को उच्च मानते हैं - ख़ैर जिसमें ज़्यादा कुछ गलत भी नहीं है, लेकिन...शायद, यह बॉम्बे के Bollywood की success stories का ही एक side kick है, जो किस्मत न बनने पर हर कहानी का anti-climax बन जाता है।

सौ बात की एक बात यह है कि बॉम्बे हमारे चारों तरफ है। उतना जितना दिल्ली या बैंगलोर नहीं हो सकता। बॉम्बे का जीवन कितना ही मैला और कठिन क्यों न हो, हम उसे उसका उच्चतम दर्जा देते रहेंगे। वो हमारे किसी Facebook या Instagram post को लाइक करने का फ़ासला तय करता है। वो सिर्फ एक हैशटैग की दूरी पर है हमसे।

उस व्याख्या का असली मर्म मुझे आज उस कम्पार्टमेंट में चढ़कर समझ आया जहाँ सिर्फ पैर रखने की जगह थी, न अगला स्टेशन विरार था, और ना ही वो ट्रैन किसी हैशटैग के मन में उतर रही थी। तब एहसास हुआ कि भारत के बॉम्बे से बाहर रहने वाली बहुसंख्या के लोग, हर रोज़ ऐसा सफ़र तय करते हैं। इनका struggle, struggle है - किसी बॉम्बे का हिस्सा नहीं। इनके लिए सफलता और संघर्ष, Instagram का हैशटैग नहीं है। और कोई इस संघर्ष की मिसाल नहीं देना चाहता।

यह बस है।

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Gulal Salil
Lal Poster

Writer, graphic artist and student of sociology & social anthropology ♦ I create stories in storyboards