सौंदर्य की शिक्षा

Educator’s guide for ‘Aesthetic Sense Development’ in primary school

  1. संवेदनशील इंद्रियों के माध्यम से किसी वस्तु, घटना या विषय का होशपूर्वक सामना करना।
  2. उस विषय के संपूर्ण और साथ ही सूक्ष्म तत्वों का संयुक्त ग्रहण / आकलन करना
  3. मन-मस्तिष्क में पडे हुऐ संस्कारों, ज्ञान, अभ्यस्त प्रतिक्रियाओं और उनसे उत्पन्न होने वाले विचारों और व्याख्याओं को रोकना / ‘चूप बैठो’ कहना।
  4. विचार- तर्क से मुक्त मन में विस्मय, आश्चर्य या स्तब्धता के भाव का बोध होना ‘अहाहा… अहोहो..!’
  5. उस भाव में पके हुए दर्शन को बनाए रखना और इसे बिना किसी बाधा के फैलने देना।
  6. पलक झपकते ही बाहर से आ रहे अन्य डेटा / दृश्य को रोक कर सॊंदर्य संवेदन में जन्मे हुई सुख की स्थिति का आनंद लेना।
  7. समय की भावना के बिना शुद्ध-आनंद की वह अवस्था कोई विचार या बाहरी कारण से समाप्त होने के बाद हल्कापन, ऊर्जा और बिना शर्त प्यार का अनुभव होना।

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