आखिर दिल की बात हम बताने चले

कविता

Aman Singh
Literary Impulse
1 min readMar 4, 2024

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आखिर दिल की बात हम बताने चले
तुम्हें अब रातों को हम सताने चले

थोड़ी दूरी हमने सच्चाई से तय की
और थोड़ी दूर तक बहाने चले

यदि ऐसे ही आपका दीदार होता है
तो हम भी बहाने बनाने चले

जिन वादों को उन्होंने मजाक समझा था
वह न जाने अंतिम सांस तक हम निभाने चले

यह दिल तो वही का वहीं खड़ा रह गया
बदल गई दुनिया कितने जमाने चले

भला आपने आने की तकलीफ क्यों की
मुनासिब नहीं की कोई लेकर इतने खजाने चले

वह बात तो हम दोनों के बीच रहनी थी
आप तो सारे जहां को बताने चले

अरे यह कारनामे उन्होंने बहुत देखे हैं
जो तुम इठला के प्यार जताने चले

दो-चार कदम ही हमने गलत रखे थे
न जाने मिलो दूर कैसे फसाने चले

आपने बताया कि शायर दर्द बेचते हैं
सो हम अपनी भी दुकान लगाने चले

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