HINDI POETRY

इन झुकी हुई नजरों का पैगाम कुछ तो है

Aman Singh
Literary Impulse
Published in
2 min readAug 13, 2023

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Photo by Manuel Meurisse on Unsplash

इन झुकी हुई नजरों का पैगाम कुछ तो है
तेरी जुल्फों तले गुजरी मेरी शाम कुछ तो है

माना कि तूझ जैसे खास तो हम है नहीं
पर जाना ये तेरा आशिक-ए-आम कुछ तो है

थक जाता हूं अक्सर मैं जिंदगी की राह में
तब मिलता बाहों में तेरी आराम कुछ तो है

वह तेरी ही सीरत थी कि हम मुफ्त में फना हुए
वरना मेरे दिल का जाना दाम कुछ तो है

मेरे हर दर्द की वजह भी तुम हो
तुम ही हर दर्द में हो बाम कुछ तो है

अकेला रह जाता हूं मैं सैकड़ों की भीड़ में
पर तुझसे करता हूं बातें तमाम कुछ तो है

जान पड़ता है कि तुम कुछ खास हो मेरे लिए
गैर की खातिर हों क्यों बदनाम कुछ तो है

हम तो ओ जाना तेरी सीरत पे मरते हैं
सूरत पर तो मरती सारी आवाम कुछ तो है

भुला सकते थे तो जाना भूल जाते हम तुझे
पर हर कोशिश हुई नाकाम कुछ तो है

तुम्हारी ही ख्वाहिश है कि बेनाम रहने दूं इसे
वरना इस रिश्ते का जाना नाम कुछ तो है

मैं हूं तेरे साथ बैठा सारी दुनिया छोड़ कर
तेरी बेचैनी कहती है तुझे काम कुछ तो है

तुम दर्जनों बार कहना है ‘अमन’ कुछ भी नहीं
हम सैकड़ों बार कहेंगे जान कुछ तो है

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