उन नन्हे-नन्हे कदमों की बात कुछ और थी

Aman Singh
Literary Impulse
Published in
Aug 13, 2023
Photo by MI PHAM on Unsplash

उन नन्हे-नन्हे कदमों की बात कुछ और थी
वह साफ आसमानों वाली रात कुछ और थी

ना घरों की सरहदें थी ना था कोई गैर
सारा गांव अपना था वह जायदाद कुछ और थी

जब भी गुम जाता था खिलौना कोई अजीज
घर-भर में उसकी तहकीकात कुछ और थी

कुछ और ही थे वह नजारे और ही था वह जहां
खुश थे हम जिसमें वह कायनात कुछ और थी

अब तो यार भी रखते हैं गिले-शिकवे हमसे
उन नन्हे-नन्हे दोस्तों से मुलाकात कुछ और थी

काश रह पाता जहां यूं ही खूबसूरत
पर शायद ख्वाहिश-ए-हालात कुछ और थी

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