एहसान मेरे दिल पे मेरे यार कीजिए

Hindi Poem

Aman Singh
Literary Impulse
May 27, 2024

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Photo by freestocks on Unsplash

एहसान मेरे दिल पे मेरे यार कीजिए
यह प्यार का भूखा है इसे प्यार कीजिए

कभी तो कोई बात मेरी मान लीजिए
कब तलक नफे के सौदे से इनकार कीजिए

वह जो पहले ही इश्क में बर्बाद पड़ा है
उस पर भला कैसे ही वार कीजिए

जब अपनी निगाह ही इतनी कातिल हो
तो फिजूल में तैनात क्यों हथियार कीजिए

एक दफा ही काफी है इश्क कबूलना
जरूरत ही नहीं की बार-बार कीजिए

कुछ काम लीजिए इन चंचल अदाओं से
थोड़ा प्यार कीजिए थोड़ा इकरार कीजिए

सबकी गली से निकली है इश्क की महफिल
चाहे जाने दीजिए या जाँ-निसार कीजिए

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