एहसान मेरे दिल पे मेरे यार कीजिए
Hindi Poem
Published in
May 27, 2024
एहसान मेरे दिल पे मेरे यार कीजिए
यह प्यार का भूखा है इसे प्यार कीजिए
कभी तो कोई बात मेरी मान लीजिए
कब तलक नफे के सौदे से इनकार कीजिए
वह जो पहले ही इश्क में बर्बाद पड़ा है
उस पर भला कैसे ही वार कीजिए
जब अपनी निगाह ही इतनी कातिल हो
तो फिजूल में तैनात क्यों हथियार कीजिए
एक दफा ही काफी है इश्क कबूलना
जरूरत ही नहीं की बार-बार कीजिए
कुछ काम लीजिए इन चंचल अदाओं से
थोड़ा प्यार कीजिए थोड़ा इकरार कीजिए
सबकी गली से निकली है इश्क की महफिल
चाहे जाने दीजिए या जाँ-निसार कीजिए