
कैसा समय था?
Mar 12, 2018 · 1 min read
आज भागी तेज़ बहुत तेज़
भीड़ से, ख़ुद से
दुख गहरा था
लम्हा भला था
साथ देने को रुक गया था
पाँव उलझे थे बहुत से धागे थे
चलना मुश्किल था
रास्ता चुनना था
उसी लम्हा कुछ उमड़ा अन्दर से
एक ख़याल प्यारा सा
काफी भला था
साथ देने को रुक गया था
नहीं जानती थी मगर,
जीने की वजह वो बन गया था.