जिंदगी
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1 min readAug 12, 2020
कभी तो मुझसे बात करोगी
कभी तो मेरे साथ चलोगी,
सुख सुविधा का लगा है मेला
फिर भी हूं मैं निपट अकेला,
किस से मन की बात कहूं मैं
तुम बिन किससे आस करूं मैं,
कभी तो सिर पर हाथ धरोगी
कभी तो मुझसे बात करोगी
दूर गगन में मेरा बसेरा
अब कुछ ना है तेरा मेरा,
कहता हूँ ये सोच समझकर,
छोड़ चला ये जीवन नश्वर
क्या अब मुझको मांफ करोगी ?
क्या अब मनको साफ़ करोगी?
क्या अब मुझसे बात करोगी?
क्या मेरा इन्साफ करोगी?
कभी तो मेरे लिए लड़ोगी
कभी तो मेरे साथ चलोगी|