Nov 10, 2018 · 1 min read
पहचानें झूठी है

पहचानें झूठी है
वादे टूटे हैं
जिंदगी रूठी है
शाम भी घायल है
रात भी रोती है
हुआ है क्या सबको
सुबह भी सोती है
पहचानें झूठी है ।।
अँधेरा कायम है
कलरव गायब है
रास्ते सूने हैं
जग भी खोया हैं
इन्ही पहचानों में
भटकता जाता हैं
इन्ही पहचानों से
उन्हें बतलाना हैं
पहचानें झूठी हैं ।।