प्रकृति

Vineeta Tewari
my tukbandi
Published in
1 min readJul 28, 2020

--

प्रकृति तू रहती क्यों मौन
तेरी धरती तेरा व्योम
प्रकृति तू रहती क्यों मौन
तेरा पर्वत तेरी घाटी
सूरज पानी तेरी थाती
तेरा ही है सुंदर सोम
प्रकृति तू रहती क्यों मौन,

तूने हमको बहुत दिया है
जनजन का उपकार किया है
हम सब तेरे अपराधी हैं
शोषक दोहक हतभागी हैं
यह ना सोचा तू है कौन
प्रकृति तू रहती क्यों मौन |

अपना दुख अपनी पीड़ा को
अपनी व्यथा अपनी क्रीड़ा को
कर दे अब तू सार्वभौम
प्रकृति तू रहती क्यों मौन |

--

--