मुख़्तसर ख़्याल

Ritu Chaudhry
my tukbandi
Published in
1 min readAug 29, 2020

तुम्हारा मुख़्तसर ख़्याल, बहुत अच्छा है,
याद न करना न याद आना, बहुत अच्छा है।

फ़ुर्सत से कभी जो सुलझा रहे थे ज़ुल्फ़ मेरी,
तुम्हारा हर बहाना, क्या कहें, बहुत अच्छा है।

दोस्ती का सच का दावा कर के मुझ पर,
वो यूँ गुम हुए क्या कहें, उज्र सच्चा है।

पूछा होता हाल मेरा, जान जाने से पहले,
इतनी ख़ुद से रंजिशें न होती सच अच्छा है।

हज़ार दर्द दिल में हो नज़रों में हो आब,
आँसू बन बह निकले ग़र तो अच्छा है।

न तुम पूछोगे न हम बताएँगे हाल,
होगा तमाशा सरे आम, अच्छा है।

Image : unsplash Dylan Ferreira

--

--