
सब सोये हैं…
कल मेरी गली में तमाम कोहरा था
आधे पेट अधमरे से कुछ शरीरों को जैसे ठेलता था
उसे फुसफुसाते हुये सुना था,
ले जायेगा उन्हें जहाँ छत होगी, बिस्तर होगा, खाना इफ़रात में होगा
कोशिश जारी थी उसकी मगर गाड़ियों की तेज़ रोशनी से कोहरा टकरा गया और उठ गया
अब कौन ठेलेगा इन्हें?
बाक़ी सब सोए हैं मेरी गली में…